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Shani Puja: भगवान शनि देव की पूजा में इन मंत्रों का करें जाप, जीवन में मिलेंगे शुभ परिणाम

Shani Mantra शनिवार के दिन भगवान शनि देव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से इंसान को जीवन में व्याप्त दुख और संकटों से छुटकारा मिलता है। अगर आप भगवान शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो शनिवार की पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का जाप करें। ऐसा करना साधक के लिए फलदायी होता है।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Fri, 02 Feb 2024 05:49 PM (IST)
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Shani Puja: भगवान शनि देव की पूजा में इन मंत्रों का करें जाप, जीवन में मिलेंगे शुभ परिणाम
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shani Mantra: भगवान शनि देव इंसान के कर्मों के अनुसार न्याय करते हैं। यही वजह है कि उन्हें कर्मफल दाता के नाम से जाना गया है। शनिवार के दिन साधक विधिपूर्वक भगवान शनि देव की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में व्याप्त दुख और संकटों से छुटकारा मिलता है। अगर आप भगवान शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो शनिवार की पूजा के दौरान विशेष मंत्रों का जाप करें।

धार्मिक मत के अनुसार, शनि मंत्रों का जाप करने से साधक अपने जीवन की सभी परेशानियों को खत्म कर सकता है और जीवन में शुभ परिणाम मिलते हैं। भगवान शनि देव से संबंधित मंत्र इस प्रकार है-

1. शनि महामंत्र

ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥

2. शनि दोष निवारण मंत्र

ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।

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3. शनि का पौराणिक मंत्र

ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।

छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

4. शनि मंत्र

ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।

5. शनि गायत्री मंत्र

ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।

6. सेहत के लिए शनि मंत्र

ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।

कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।

शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।

दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।

7. तांत्रिक शनि मंत्र

ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

8. शनिदेव का वैदिक मंत्र

ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।

उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।

ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।

ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

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