Maa Lakshmi Puja: शुक्रवार के दिन इस स्तोत्र का करें पाठ, धन की होगी प्राप्ति
सनातन धर्म में शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने का विधान है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा-व्रत करने से व्यक्ति की मनचाही मनोकामना पूरी होती है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा घर में व्याप्त वास्तु दोष से छुटकारा मिलता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जो साधक शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी पाठ का करता है उसके सभी तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahalaxmi Stotram: सनातन धर्म में शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा-व्रत करने का विधान है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा-व्रत करने से व्यक्ति की मनचाही मनोकामना पूरी होती है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसके अलावा घर में व्याप्त वास्तु दोष से छुटकारा मिलता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो साधक शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी पाठ का करता है, उसके सभी तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और धन का लाभ मिलता है। शुक्रवार के अवसर पर आप भी अवश्य महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें, जिससे आपको शुभ फल की प्राप्ति हो।
महालक्ष्मी स्तोत्र
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।यह भी पढ़ें: Lohri 2024: लोहड़ी के दिन क्या करें और क्या न करें? यहां जानें
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के मंत्रॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमऊँ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥यह भी पढ़ें: Saphala Ekadashi 2024: साल 2024 में दो बार मनाई जाएगी सफला एकादशी, जानिए इसका कारण और शुभ मुहूर्त
Author- Kaushik Sharmaडिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'