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Maa Lakshmi Stuti: शुक्रवार के दिन करें मां लक्ष्मी की इस स्तुति का पाठ, होगी धन-धान्य की प्राप्ति

Maa Lakshmi Stuti शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के सम्मुख शुद्ध घी का दीपक जला कर महालक्ष्मी जी की स्तुति का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी अवश्य प्रसन्न होती हैं और धन-समंपदा से आपका घर भर देती हैं।

By Jeetesh KumarEdited By: Updated: Fri, 03 Dec 2021 06:00 AM (IST)
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Maa Lakshmi Stuti: शुक्रवार के दिन करें मां लक्ष्मी की इस स्तुति का पाठ, होगी धन-धान्य की प्राप्ति
Maa Lakshmi Stuti: हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी के व्रत और पूजन को समर्पित होता है। इस दिन वैभव लक्ष्मी का व्रत रखने और उनका पूजन करने का विधान है। मान्याता है कि इस दिन मां लक्ष्मी पूजन करने से आसानी से प्रसन्न होती हैं और धन-धान्य का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी गुलाबी रंग के आसन पर स्थापित कर, इत्र और सुंगध जरूर अर्पित करें। मां लक्ष्मी के सम्मुख शुद्ध घी का दीपक जला कर महालक्ष्मी जी की स्तुति का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी अवश्य प्रसन्न होती हैं और धन-समंपदा से आपका घर भर देती हैं।

महालक्ष्मी स्तुति

आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।1।।

सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।2।।

विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्यास्वरूपिणि।विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।3।।

धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।4।।

धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।5।।

मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।6।।

गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।7।।

धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।8।।

जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।9।।

भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।10।।

कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।11।।

आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।12।।

सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।13।।

सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।14।।

साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।15।।

मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।।16।।

सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।17।।

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