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Maa Santoshi Vrat: हर शुक्रवार को करें संतोषी माता का व्रत, जानें पूजन विधि और आरती

Maa Santoshi Vrat शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक शुक्रवार को माता संतोषी की पूजा अर्चना करने से धन और विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। इसके साथ ही धन वैभव की प्राप्ति होती है। जानिए संतोषी माता पूजा विधि और आरती के बारे में।

By Shivani SinghEdited By: Published: Thu, 17 Nov 2022 04:29 PM (IST)Updated: Thu, 17 Nov 2022 04:29 PM (IST)
Maa Santoshi Vrat: हर शुक्रवार को करें संतोषी माता का व्रत, जानें पूजन विधि और आरती

नई दिल्ली, Maa Santoshi Vrat Puja Vidhi And Aarti: शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी के साथ मां संतोषी की पूजा करने का विधान है। मां संतोषी को सुख-शांति और वैभव का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति शुक्रवार के दिन संतोषी माता का व्रत रखकर उनकी विधिवत पूजा करता है। उसकी हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इसके साथ ही धन और विवाह संबंधी समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है। संतोषी माता का व्रत करने के कोई कठोर नियमों का पालन करने की जरूरत नहीं है। जानिए किस विधि से करें मां संतोषी की पूजा, साथ ही जानिए संतोषी माता की आरती।

संतोषी माता का व्रत हर शुक्रवार को रखा जाता है। इसके साथ ही अपनी कामना कहते हुए पूरे 16 शुक्रवार का व्रत रखा जाता है। इसके बाद उद्यापन किया जाता है।

संतोषी माता व्रत की पूजा विधि

  • शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
  • अब मां संतोषी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें लें। इसके बाद एक साफ सूथरी जगह या फिर पूजा कर में एक चौकी में लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां संतोषी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर दें।
  • कलश स्थापना करें। इसके बाद विधिवत तरीके से माता संतोषी की पूजा करें।
  • माता संतोषी को फूल, माला, सिंदूर, अक्षत आदि चढ़ाएं।
  • भोग में मां को भिगोए हुए चने का दाल और गुड़, केला चढ़ाएं।
  • माता संतोषी को ध्यान करके घी का दीपक जलाने के साथ धूप जलाएं और विधिवत आरती कर लें।
  • माता संतोषी की व्रत कथा, चालीसा, मंत्र आदि का पाठ करके विधिवत आरती कर लें।
  • अब में प्रसाद सभी को बांट दें और कलश के पानी को पूरे घर में छिड़क दें।

संतोषी माता की आरती

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।

अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ।।

जय संतोषी माता....

सुन्दर चीर सुनहरी मां धारण कीन्हो।

हीरा पन्ना दमके तन श्रृंगार लीन्हो ।।

जय संतोषी माता....

गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे।

मंद हंसत करुणामयी त्रिभुवन जन मोहे ।।

जय संतोषी माता....

स्वर्ण सिंहासन बैठी चंवर दुरे प्यारे।

धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे।।

जय संतोषी माता....

गुड़ अरु चना परम प्रिय ता में संतोष कियो।

संतोषी कहलाई भक्तन वैभव दियो।।

जय संतोषी माता....

शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही।

भक्त मंडली छाई कथा सुनत मोही।।

जय संतोषी माता....

मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई।

बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई।।

जय संतोषी माता....

भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै।

जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै।।

जय संतोषी माता....

दुखी दारिद्री रोगी संकट मुक्त किए।

बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिए।।

जय संतोषी माता....

ध्यान धरे जो तेरा वांछित फल पायो।

पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो।।

जय संतोषी माता....

चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे।

संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे।।

जय संतोषी माता....

संतोषी माता की आरती जो कोई जन गावे।

रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे।।

जय संतोषी माता....

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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