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Magh Purnima 2024: माघ पूर्णिमा पर श्री हरि को ऐसे करें प्रसन्न, मनचाही इच्छा होगी पूरी

सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। माघ पूर्णिमा के दिन श्री हरि की पूजा करें और भगवान को पीले रंग का फल फूल हल्दी कुमकुम खीर अक्षत आदि चीजें अर्पित करें। साथ ही पूजा के समय भगवान विष्णु की आरती करें। मान्यता है कि ऐसा करने से पूजा सफल होती है और साधक की मनचाही इच्छा पूरी होती है।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Wed, 21 Feb 2024 08:00 PM (IST)
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Magh Purnima 2024: माघ पूर्णिमा पर श्री हरि को ऐसे करें प्रसन्न, मनचाही इच्छा होगी पूरी

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Magh Purnima 2024: पूर्णिमा की तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस विशेष अवसर पर पूजा, व्रत और दान करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस बार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 24 फरवरी को है। अगर आप भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो माघ पूर्णिमा के दिन श्री हरि की पूजा करें और भगवान को पीले रंग का फूल, हल्दी, कुमकुम, खीर, अक्षत आदि चीजें अर्पित करें। साथ ही पूजा के समय भगवान विष्णु की आरती करें। मान्यता है कि ऐसा करने से पूजा सफल होती है और साधक की मनचाही इच्छा पूरी होती है। 

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भगवान विष्णु जी की आरती (Lord Vishnu Aarti Lyrics )

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।

भगवान विष्णु की आरती

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे।

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे।

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे।

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वमी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे।

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे।

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