Mahalakshmi Vrat 2023: महालक्ष्मी व्रत के दौरान करें इन मंत्रों का जाप, आय और सौभाग्य में होगी अपार वृद्धि
Mahalakshmi Vrat 2023 महालक्ष्मी व्रत करने से साधक को सुख सौभाग्य धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संताप दूर होते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो महालक्ष्मी व्रत के दौरान इन मंत्रों का जाप करें।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 21 Sep 2023 06:57 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म। Mahalakshmi Vrat 2023: हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक महालक्ष्मी व्रत मनाया जाता है। तदनुसार, इस वर्ष 22 सितंबर से लेकर 06 अक्टूबर तक महालक्ष्मी व्रत है। इस दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही धन प्राप्ति या मनोकामना पूर्ति हेतु व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि महालक्ष्मी व्रत करने से साधक को सुख, सौभाग्य, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संताप दूर होते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो महालक्ष्मी व्रत के दौरान इन मंत्रों का जाप करें। आइए, मंत्र जाप करते हैं-
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मां लक्ष्मी के मंत्र
1.ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
2.ॐ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै गरूड़ वाहिन्यै श्रीं ऐं नमः3.ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
4.ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।5.ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।6.ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।7.ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
8.ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥9.॥ ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥10.ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः ।
ॐ क्लीन क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः ।।