Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर इस समय करें व्रत का पारण, जानें समय और विधि
Mahashivratri 2023 महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की उपासना रात्रि के समय की जाती है। शास्त्रों बताया गया है कि जो लोग शिवरात्रि व्रत का पालन करते हैं उन्हें धन-धान्य की प्राप्ति होती है और वह सभी कष्टों से दूर रहते हैं। आइए जानते हैं व्रत पारण का समय।
By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sat, 18 Feb 2023 06:10 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्मिक डेस्क | Mahashivratri 2023 Vrat Paran Time: आज बड़े ही हर्षोल्लास के साथ महाशिवरात्रि पर्व मनाया जा रहा है। इस विशेष दिन पर भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा का विधान है। प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ उपवास का भी विशेष महत्व है। भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह उत्सव पर व्रत रखने से भक्तों को सभी पापों से मुक्ति प्राप्त होती है, साथ ही कई प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन रखे गए व्रत का पारण अगले दिन पूजा के बाद किया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन चार प्रहर में भगवान शिव की उपासना की जाती है और इसके बाद व्रत का पारण किया जाता है। आइए जानते हैं रात्रि पूजा का समय और महाशिवरात्रि व्रत पारण का समय और विधि।
महाशिवरात्रि पूजा समय (Mahashivratri 2023 Puja Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि पर प्रथम रात्रि की पूजा शाम 06:45 से शुरू होगी और 09:35 तक चलेगी। दूसरा पहर 09: 35 मिनट से शुरू होगा और 12:24 तक पूजा सम्पन्न होगी। तृतीय पहर की पूजा रात्रि 12:24 से सुबह 03:14 तक चलेगी।अंतिम व चतुर्थ प्रहर की पूजा सुबह 03:14 से प्रातः 06:03 के बीच किया जा सकता है। इस अवधि में भगवान शिव का विधवत रुद्राभिषेक करें और मंत्रोच्चारण के साथ महादेव को प्रसन्न करें।
महाशिवरात्रि व्रत पारण समय (Mahashivratri 2023 Vrat Paran Time and Vidhi)
हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि व्रत का पारण चतुर्थ रात्रि प्रहर पूजा के बाद सुबह 06:03 से दोपहर 02:48 के बीच किया जा सकता है। व्रत का पारण करने से पहले स्नान करें और उसके बाद भगवान शिव की उपासना करें। फिर व्रत का पारण करें। इस बात का ध्यान रखें कि व्रत पारण के समय भी सात्विक भोजन ही ग्रहण करें। ऐसा करने से व्रत का पूर्ण लाभ मिलता है और भगवान शिव साधकों से प्रसन्न होते हैं।डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।