Shiv Chalisa: महाशिवरात्रि के दिन शिव चालीसा का करें पाठ, खुल जाएंगे किस्मत के बंद दरवाजे
प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि के त्योहार को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व के आने का शिव भक्त बेसब्री से इंतजार करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2024) मनाई जाती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahashivratri 2024: फाल्गुन माह में देवों के देव महादेव की पूजा का विशेष महत्व है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के पर्व को मनाया जाता है। इस बार 08 मार्च को महाशिवरात्रि है। इस विशेष तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा और व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से महादेव होते हैं और साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी दुखों से छुटकारा मिलता है, तो आइए पढ़ते हैं शिव चालीसा-
शिव चालीसा (Shiv Chalisa Lyrics)
||दोहा||
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥चौपाई
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥यह भी पढ़ें: Lord Shiva: भगवान शिव ने मस्तक पर क्यों धारण किया था चंद्रमा? जानें इससे जुड़ी कथा
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥जो यह पाठ करे मन लाई। ता पर होत है शम्भु सहाई॥ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥|| दोहा ||बहन करौ तुम शीलवश, निज जनकौ सब भार।गनौ न अघ, अघ-जाति कछु, सब विधि करो सँभारतुम्हरो शील स्वभाव लखि, जो न शरण तव होय।तेहि सम कुटिल कुबुद्धि जन, नहिं कुभाग्य जन कोय
दीन-हीन अति मलिन मति, मैं अघ-ओघ अपार।कृपा-अनल प्रगटौ तुरत, करो पाप सब छार॥कृपा सुधा बरसाय पुनि, शीतल करो पवित्र।राखो पदकमलनि सदा, हे कुपात्र के मित्र॥।। इति श्री शिव चालीसा समाप्त ।।यह भी पढ़ें: Shani Uday 2024: मार्च में इस दिन शनि होंगे उदय, इन राशियों की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।