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Mangal Kalash: जानें पूजा में मंगल कलश रखने का महत्व, किस प्रकार करें स्थापना

शास्त्रों में माना गया है कि कलश की स्थापना करने से सुख-समृद्धि और वैभव आता है। इसे मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है। विशेषकर नवरात्रि के दिनों में मंदिरों तथा घरों में कलश स्थापित किए जाते हैं। इससे नौ देवियों की विशेष कृपा बनी रहती है।

By Jagran NewsEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Sun, 21 May 2023 05:34 PM (IST)
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Mangal Kalash मंगल कलश के स्थापना की विधि।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Mangal Kalash: हिंदू धर्म में सभी धार्मिक कार्यों में कलश का बहुत महत्व है। फिर चाहे किसी मांगलिक कार्य का शुभारंभ करना हो या नया व्यापार करना हो। इसी के साथ नववर्ष आरंभ, गृह प्रवेश, दिवाली पूजन, यज्ञ-अनुष्ठान, दुर्गा पूजा आदि के अवसर पर सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है। इसके बाद ही शुभ काम शुरू किए जाते हैं।

मंगल कलश का क्या है महत्व

माना जाता है कि कलश के मुख में विष्णु जी का निवास है। कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं। कलश में भरा पवित्र जल इस बात का संकेत हैं कि हमारा मन भी जल की तरह हमेशा ही शीतल, स्वच्छ एवं निर्मल बना रहें। साथ ही व्यक्ति क्रोध, लोभ, मोह-माया, ईर्ष्या और घृणा आदि जैसी बुरी भावनाओं से दूर रहे।

इन बातों का रखें ध्यान

पूजा का कलश हमेशा सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी का बना होना चाहिए। पूजा के लिए लोहे का कलश कभी भी इस्तेमाल न करें। कलश को उत्तर या उत्तर पूर्व दिशा में रखें। जहां कलश बैठाना हो उस स्थान पर पहले गंगाजल के छींटे मारकर उस जगह को पवित्र कर लें।

क्लश स्थापना की क्या है विधि

जहां कलश रखा जाना है वहां मिट्टी की वेदी बनाएं। फिर उस पर हल्दी से अष्टदल बनाएं। अब उसके ऊपर कलश रख दें। कलश के अंदर पंच पल्लव, जल, दुर्वा, चंदन, पंचामृत, सुपारी, हल्दी, अक्षत, सिक्का, लौंग, इलायची, पान डालें। इसके बाद कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। कलश पर बनाए जाने वाला स्वास्तिक चिह्न चार युगों का प्रतीक है।

इसके बाद कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें। अब कलश में नारियल रखने से पहले कलश के ऊपर एक कटोरी में जौ या गेहूँ रखें। कलश पर रखे जाने वाले नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर रखना चाहिए। इसके बाद पंचोपचार से कलश का पूजन करें।

By- Suman Saini

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