Mangalwar Upay: मंगलवार के दिन जरूर करें हनुमान अष्टक स्तोत्र का पाठ और जानें सही पूजा विधि
Mangalwar Upay मंगलवार के दिन पवनपुत्र बजरंगबली की उपासना विशेष रूप से की जाती है। उन्हें संकटमोचन के नाम से भी जाना जाता है। मंगवार के दिन उनकी उपसना करने से बल बुद्धि और विद्या तीनों की प्राप्ति होती है।
By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Mon, 26 Dec 2022 05:29 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Mangalwar Upay, Puja Vidhi: शास्त्रों में बताया गया है कि जिस व्यक्ति पर हनुमान जी की कृपा होती है, वह अपने जीवन काल में सदैव संकटों से दूर रहता है। साथ ही उसे हर कार्य में उन्नति प्राप्त होती है। इसलिए मंगलवार के दिन हनुमान जी की विशेष उपासना का विधान है। मान्यता है कि मंगलवार के दिन कलयुग के देवता हनुमान जी की उपासना करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और उन्हें रोग-दोष से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही वह अपने जीवन में उन्नति प्राप्त करते हैं। बता दें कि शास्त्रों में बताया गया है कि प्रत्येक मंगलवार के दिन हनुमान अष्टक का पाठ करने से व्यक्ति को बहुत लाभ मिलता है।
संकटमोचन हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi)
बाल समय रवि भक्षि लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारोंताहि सो त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो
देवन आनि करी विनती तब, छाड़ि दियो रवि कष्ट निवारोको नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो, -को नहीं
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो
चौंकि महामुनि शाप दियो तब , चाहिए कौन बिचार बिचारोकैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो, -को नहींअंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीश यह बैन उचारोजीवत ना बचिहौ हम सो जु , बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारोहेरी थके तट सिन्धु सबै तब , लाए सिया-सुधि प्राण उबारो, -को नहींरावण त्रास दई सिय को तब , राक्षसि सो कही सोक निवारो
ताहि समय हनुमान महाप्रभु , जाए महा रजनीचर मारोचाहत सीय असोक सों आगिसु , दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो, -को नहींबान लग्यो उर लछिमन के तब , प्राण तजे सुत रावन मारोलै गृह बैद्य सुषेन समेत , तबै गिरि द्रोण सुबीर उपारोआनि संजीवन हाथ दई तब , लछिमन के तुम प्रान उबारो, -को नहींरावन युद्ध अजान कियो तब , नाग कि फांस सबै सिर डारो
श्री रघुनाथ समेत सबै दल , मोह भयो यह संकट भारोआनि खगेस तबै हनुमान जु , बंधन काटि सुत्रास निवारो, -को नहींबंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारोदेवहिं पूजि भली विधि सों बलि , देउ सबै मिलि मन्त्र विचारोजाये सहाए भयो तब ही , अहिरावन सैन्य समेत संहारो, -को नहींकाज किये बड़ देवन के तुम , बीर महाप्रभु देखि बिचारो
कौन सो संकट मोर गरीब को , जो तुमसो नहिं जात है टारो।।बेगि हरो हनुमान महाप्रभु , जो कछु संकट होए हमारो ।। -को नहींदोहा-लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर ।बज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर ।।