Move to Jagran APP

Mangla Gauri Vrat 2023: मंगला गौरी व्रत के दिन पूजा के समय करें ये स्तुति, हर मनोकामना होगी पूरी

Mangla Gauri Vrat 2023 धार्मिक मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत करने से विवाहित स्त्रियों को सुख और सौभागय की प्राप्ति होती है। साथ ही पति की आयु लंबी और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। वहीं अविवाहित लड़कियों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। अगर आप भी भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद पाना चाहती हैं तो विधि विधान से मंगला गौरी व्रत करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 11 Jul 2023 10:00 AM (IST)
Hero Image
Mangla Gauri Vrat 2023: मंगला गौरी व्रत के दिन पूजा के समय करें ये स्तुति, हर मनोकामना होगी पूरी
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Mangla Gauri Vrat 2023: सावन का महीना देवों के देव महादेव और माता पार्वती को समर्पित है। इस महीने में श्रद्धा भाव से शिव परिवार की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही भगवान शिव के निमित्त सावन सोमवार का व्रत रखा जाता है। वहीं, महिलाएं और अविवाहित लड़कियां माता पार्वती के निमित्त मंगला गौरी व्रत करती हैं। यह व्रत सावन के महीने में हर मंगलवार को रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत करने से विवाहित स्त्रियों को सुख और सौभागय की प्राप्ति होती है। साथ ही पति की आयु लंबी और दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। वहीं, अविवाहित लड़कियों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। अगर आप भी भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद पाना चाहती हैं, तो विधि विधान से मंगला गौरी व्रत करें। साथ ही पूजा के समय मंगला गौरी स्तुति जरूर करें। मंगला गौरी स्तुति का पाठ करने से हर मनोकामना पूरी होती है। आइए, मंगला गौरी स्तुति का पाठ करें-

गौरी स्त्रोत

ॐ रक्ष-रक्ष जगन्माते देवि मङ्गल चण्डिके।

हारिके विपदार्राशे हर्षमंगल कारिके।।

हर्षमंगल दक्षे च हर्षमंगल दायिके।

शुभेमंगल दक्षे च शुभेमंगल चंडिके।।

मंगले मंगलार्हे च सर्वमंगल मंगले।

सता मंगल दे देवि सर्वेषां मंगलालये।।

पूज्ये मंगलवारे च मंगलाभिष्ट देवते।

पूज्ये मंगल भूपस्य मनुवंशस्य संततम्।।

मंगला धिस्ठात देवि मंगलाञ्च मंगले।

संसार मंगलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम्।।

देव्याश्च मंगलंस्तोत्रं यः श्रृणोति समाहितः।

प्रति मंगलवारे च पूज्ये मंगल सुख-प्रदे।।

तन्मंगलं भवेतस्य न भवेन्तद्-मंगलम्।

वर्धते पुत्र-पौत्रश्च मंगलञ्च दिने-दिने।।

मामरक्ष रक्ष-रक्ष ॐ मंगल मंगले।

मंगला गौरी स्तुति

जय जय गिरिराज किसोरी।

जय महेस मुख चंद चकोरी॥

जय गजबदन षडानन माता।

जगत जननि दामिनी दुति गाता॥

देवी पूजि पद कमल तुम्हारे।

सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे॥

मोर मनोरथ जानहु नीकें।

बसहु सदा उर पुर सबही के॥

कीन्हेऊं प्रगट न कारन तेहिं।

अस कहि चरन गहे बैदेहीं॥

बिनय प्रेम बस भई भवानी।

खसी माल मुरति मुसुकानि॥

सादर सियं प्रसादु सर धरेऊ।

बोली गौरी हरषु हियं भरेऊ॥

सुनु सिय सत्य असीस हमारी।

पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥

नारद बचन सदा सूचि साचा।

सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा॥

मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो।

करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियं हरषीं अली।

तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।