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Masik Durga Ashtami 2023: आज पूजा के समय करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, सभी संकटों से मिलेगी निजात

शास्त्रों में निहित है कि मां दुर्गा की पूजा-भक्ति करने से घर में सुखसमृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही सभी प्रकार के दुख और संकट यथाशीघ्र दूर हो जाते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो मासिक दुर्गाष्टमी पर दुर्लभ ध्रुव समेत कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में मां की उपासना करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 20 Nov 2023 07:00 AM (IST)
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Masik Durga Ashtami 2023: आज पूजा के समय करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, सभी संकटों से मिलेगी निजात
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Durga Ashtami 2023: आज मासिक दुर्गाष्टमी है। यह पर्व हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। साथ ही विशेष कार्यों में सिद्धि प्राप्ति हेतु उनके निमित्त व्रत भी रखा जा रहा है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। वहीं, जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी मां दुर्गा की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो आज पूजा के समय इन चमत्कारी मंत्रों का जाप करें।

मां दुर्गा के मंत्र

1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

3. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

4. हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।

सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥

5. शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥

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6. रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् ।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥

7. जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।

दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तुते ॥

8. दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:

स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।

दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या

सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता॥

9. देव्या यया ततमिदं जग्दात्मशक्त्या निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या |

तामम्बिकामखिलदेव महर्षिपूज्यां भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ||

10. दुर्गा द्वात्रिंश स्तोत्र

दुर्गा दुर्गार्तिशमनी दुर्गापद्विनिवारिणी।

दुर्गमच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी ॥

दुर्गतोद्धारिणी दुर्गानिहन्त्री दुर्गमापहा।

दुर्गमज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला॥

दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरुपिणी।

दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता॥

दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी।

दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थंस्वरुपिणी॥

दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी।

दुर्गमाङ्गी दुर्गमता दुर्गम्या दुर्गमेश्र्वरी॥

दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्गभा दुर्गदारिणी।

नामावलिमिमां यस्तु दुर्गाया मम मानवः॥

पठेत् सर्वभयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः ॥

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