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Masik Durgashtami 2024: दुर्गा चालीसा के पाठ के दौरान इन बातों का रखें ध्यान, जीवन होगा मंगलमय

सनातन धर्म में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। देवी को दुर्गाष्टमी (Masik Durgashtami 2024) का पर्व समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना और व्रत करने से जातक को सभी तरह के संकटों से छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 04 Nov 2024 02:01 PM (IST)
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Masik Durgashtami 2024 Date: ऐसे करें मां दुर्गा को प्रसन्न
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Durgashtami 2024) का व्रत किया जाता है। इस दिन मां दुर्गा की विशेष उपासना करने का विधान है। साथ ही श्रद्धा अनुसार लोगों में दान करना चाहिए। मान्यता है कि इससे जातक को मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन दुर्गा चालीसा का पाठ करते समय कई बातों का बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। माना जाता है कि सच्चे मन से दुर्गा चालीसा का पाठ करने से जातक को मनचाहा वर मिलता है और पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

इन बातों का रखें ध्यान

मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। दीपक जलाकर आरती करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। इस दौरान मन में किसी के बारे में गलत न सोचें। साथ ही झूठे मुंह से पूजा न करें। इसके अलावा मां दुर्गा की खंडित मूर्ति की उपासना न करें। माना जाता है कि इन कार्यों को करने से जातक पूजा के पूर्ण फल की प्राप्ति से वंचित रहता है।

।। दोहा।।

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।।

।। चौपाई।।

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।

नमो नमो अंबे दुःख हरनी।।

निराकार है ज्योति तुम्हारी ।

तिहूं लोक फैली उजियारी।।

शशि ललाट मुख महा विशाला।

नेत्र लाल भृकुटी विकराला ।।

यह भी पढ़ें: Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गा अष्टमी पर वृद्धि समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, चमक उठेगा सोया भाग्य

रूप मातुको अधिक सुहावे।

दरश करत जन अति सुख पावे ।।

तुम संसार शक्ति मय कीना ।

पालन हेतु अन्न धन दीना ।।

अन्नपूरना हुई जग पाला ।

तुम ही आदि सुंदरी बाला ।।

प्रलयकाल सब नासन हारी।

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 08 नवंबर को देर रात 11 बजकर 56 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 09 नवंबर को देर रात 10 बजकर 45 मिनट पर होगा। ऐसे में 09 नवंबर को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी।

तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ।।

शिव योगी तुम्हरे गुण गावैं।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावै।।

रूप सरस्वती को तुम धारा ।

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।।

धरा रूप नरसिंह को अम्बा ।

परगट भई फाड़कर खम्बा ।।

रक्षा करि प्रहलाद बचायो ।

हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ।।

लक्ष्मी रूप धरो जग माही।

श्री नारायण अंग समाहीं । ।

क्षीरसिंधु मे करत विलासा ।

दयासिंधु दीजै मन आसा ।।

हिंगलाज मे तुम्हीं भवानी।

महिमा अमित न जात बखानी ।।

यदि आपके विवाह में कोई कोई बाधा आ रही है, तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए मासिक दुर्गाष्टमी का दिन शुभ माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा करें और मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित करें। मान्यता है कि इस टोटके को करने से जल्द विवाह के योग बनते हैं।

मातंगी धूमावति माता।

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ।।

श्री भैरव तारा जग तारिणी।

क्षिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ।।

केहरि वाहन सोहे भवानी।

लांगुर वीर चलत अगवानी ।।

कर मे खप्पर खड्ग विराजै ।

जाको देख काल डर भाजै ।।

सोहे अस्त्र और त्रिशूला।

जाते उठत शत्रु हिय शूला ।।

नगर कोटि मे तुमही विराजत।

तिहुं लोक में डंका बाजत ।।

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।

रक्तबीज शंखन संहारे ।।

महिषासुर नृप अति अभिमानी।

जेहि अधिभार मही अकुलानी ।।

रूप कराल काली को धारा।

सेन सहित तुम तिहि संहारा।।

परी गाढ़ संतन पर जब-जब।

भई सहाय मात तुम तब-तब ।।

अमरपुरी औरों सब लोका।

जब महिमा सब रहे अशोका ।।

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।

तुम्हे सदा पूजें नर नारी ।।

प्रेम भक्त से जो जस गावैं।

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवै ।।

ध्यावें जो नर मन लाई ।

जन्म मरण ताको छुटि जाई ।।

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।

योग नही बिन शक्ति तुम्हारी ।।

शंकर आचारज तप कीन्हों ।

काम क्रोध जीति सब लीनों ।।

निसदिन ध्यान धरो शंकर को।

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको।।

शक्ति रूप को मरम न पायो ।

शक्ति गई तब मन पछितायो।।

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।

जय जय जय जगदम्ब भवानी ।।

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।

दई शक्ति नहि कीन्ह विलंबा ।।

कारोबार सफलता पाने के लिए मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा के मंदिर जाएं और सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करें और फल एवं मिठाई का भोग लगाएं। इससे कारोबार में सफलता प्राप्त होती है।

मोको मातु कष्ट अति घेरों ।

तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ।।

आशा तृष्णा निपट सतावै।

रिपु मूरख मोहि अति डरपावै ।।

शत्रु नाश कीजै महारानी।

सुमिरौं एकचित तुम्हें भवानी ।।

करो कृपा हे मातु दयाला।

ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ।।

जब लगि जियौं दया फल पाऊं।

तुम्हरौ जस मै सदा सुनाऊं ।।

दुर्गा चालीसा जो गावै ।

सब सुख भोग परम पद पावै।।

देवीदास शरण निज जानी।

करहु कृपा जगदम्ब भवानी ।।

।। दोहा।।

शरणागत रक्षा कर, भक्त रहे निःशंक ।

मैं आया तेरी शरण में, मातु लीजिए अंक।।

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