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Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को इस तरह करें प्रसन्न, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी

धार्मिक मान्यता के अनुसार जो इंसान मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Durgashtami 2024) पर सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करता है और प्रिय चीजों का भोग लगाता है। उसकी सभी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। ऐसा माना जाता है कि पूजा के दौरान मां दुर्गा की आरती न करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 14 Jul 2024 06:30 AM (IST)
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Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाष्टमी पर जरूर करें मां दुर्गा की आरती

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Durgashtami 2024: हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। साथ ही इस दिन पापों से मुक्ति पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। मान्यता के अनुसार, मां दुर्गा की पूजा करने शांति, शक्ति, समृद्धि और स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही जीवन के दुखों का अंत होता है। इस दिन मां दुर्गा की आरती जरूर करनी चाहिए।

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शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 13 जुलाई को दोपहर 03 बजकर 05 मिनट पर पर शुरू हो गई है। वहीं, इसका समापन 14 जुलाई को संध्याकाल 05 बजकर 52 मिनट पर होगा। पंचांग के आधार पर 14 जुलाई को आषाढ़ माह की मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी।

मां दुर्गा जी की आरती 

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।। जय अम्बे गौरी,...।

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी,...।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी,...।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी,...।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।

शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।। जय अम्बे गौरी,...।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय अम्बे गौरी,...।

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय अम्बे गौरी,...।

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।। जय अम्बे गौरी,...।

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।। जय अम्बे गौरी,...।

भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।। जय अम्बे गौरी,...।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।

अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।। जय अम्बे गौरी,...।

बोलो अंबे माता की जय!!

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