Move to Jagran APP

Masik Durgashtami 2024: मासिक दुर्गाअष्टमी पर इस विधि से करें पूजा, मिलेगा कई गुना लाभ

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। इस विशेष दिन पर भक्त मां दुर्गा के निमित्त व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर माता दुर्गा की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करने से साधक के जीवन में आ रही सभी प्रकार की परेशानियों दूर हो सकती हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 06 Jun 2024 11:50 AM (IST)
Hero Image
Masik Durgashtami 2024 मासिक दुर्गाअष्टमी पर इस विधि से करें पूजा। (Picture Credit: Freepik)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने मां दुर्गा के निमित्त मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है। इस दिन पर व्रत करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तो चलिए जानते हैं कि इस तिथि पर किस प्रकार मां दुर्गा को प्रसन्न किया जा सकता है।

मासिक दुर्गाष्टमी तिथि (Masik Durgashtami Tithi)

ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 13 जून 2024 को रात 08 बजकर 03 मिनट पर हो रहा है। साथ ही इस तिथि का समापन 14 जून को रात 10 बजकर 33 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 14 जून, शुक्रवार के दिन किया जाएगा।

मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि (Maa Durga Puja vidhi)

मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त हो जाएं। इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प धारण करें। अब मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद एक चौकी पर लाल रंग का साफ कपड़ा बिछाएं। इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।

मां दुर्गा को लाल रंग अति प्रिय माना गया है। ऐसे में पूजा में देवी मां को सोलह श्रृंगार की साम्रगी, लाल चुनरी, लाल रंग के फूल आदि अर्पित करें। अंत में मां दुर्गा की आरती और उनके मंत्रों का जाप करते हुए सभी लोगों में प्रसाद बांटे।

यह भी पढ़ें -  Surya Dev: रोजाना सूर्य देव को जल चढ़ाने से नहीं रहती किसी चीज की कमी, आज से ही कर दें शुरुआत

करें इस मंत्र का जाप (Mantras of maa Durga)

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।