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Masik Kalashtami 2023: इस दिन है भाद्रपद माह की कालाष्टमी? नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Masik Kalashtami 2023 भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 7 सितंबर को संध्याकाल में 04 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। काल भैरव देव की पूजा निशा काल में होती है। अतः 6 सितंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन महादेव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विशेष पूजा की जाती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 30 Aug 2023 04:10 PM (IST)
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Masik Kalashtami 2023: इस दिन है भाद्रपद माह की कालाष्टमी? नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Masik Kalashtami 2023: हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस प्रकार, बुधवार 6 सितंबर को भाद्रपद माह की कालाष्टमी है। यह दिन देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन महादेव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विशेष पूजा की जाती है। तंत्र मंत्र सीखने वाले साधक सिद्धि प्राप्ति हेतु निशा काल में काल भैरव देव की उपासना करते हैं। उनकी कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव उन्हें मनोवांछित फल देते हैं। धार्मिक मत है कि कालाष्टमी पर भगवान शिव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती हैं। आइए, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानते हैं-

शुभ मुहूर्त

भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 7 सितंबर को संध्याकाल में 04 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। काल भैरव देव की पूजा निशा काल में होती है। अतः 6 सितंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी।

पूजा विधि

भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा निशा काल में की जाती है। हालांकि, सामान्य भक्तजन प्रातः काल में स्नान-ध्यान के बाद पूजा कर सकते हैं। इसके लिए ब्रह्म बेला में उठें और दैनिक कार्यों से निवृत होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें। इसके बाद वस्त्र धारण कर सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, षोडशोपचार कर भैरव देव की पूजा विधि-विधान से करें। इस समय शिव चालीसा, शिव स्तोत्र का पाठ और मंत्र जाप करें। पूजा के अंत में आरती कर सुख, समृद्धि और आय में वृद्धि की कामना करें। भैरव देव की पूजा करने से काल, कष्ट, दुख और संकट दूर हो जाते हैं। विशेष कार्यों में सिद्धि हेतु व्रत रख सकते हैं। निशा काल में पुनः विधि-विधान से भैरव देव की पूजा करें।

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