Masik Shivratri 2023: आज है मासिक शिवरात्रि, पूजा के समय जरूर करें शिव चालीसा का पाठ
Masik Shivratri 2023 मासिक शिवरात्रि व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ शिव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को बहुत लाभ मोलेगा।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Masik Shivratri 2023: हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि धार्मिक मान्यताओं से अनुसार भोलेनाथ अपने भक्तों से जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं। भगवान शिव की विशेष आराधना के लिए मासिक शिवरात्रि व्रत को बहुत ही उत्तम माना जाता है। वर्ष 2023 का पहला मासिक शिवरात्रि व्रत आज यानि 20 जनवरी 2023, शुक्रवार के दिन रखा जा रहा है। मान्यता है कि आज के दिन भगवान शिव की उपासना करने से संतान सुख तथा आरोग्यता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही भक्तों को सभी क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है। इस विशेष दिन पर भक्तों भगवान शिव की विधिवत पूजा के साथ शिव चालीसा का भी पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि शिव चालीसा का पाठ करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण कर देते हैं
शिव चालीसा
दोहा।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।
चौपाई।।
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये।।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे।।
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी।।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी।।
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे।।
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ।।
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा।।
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।।
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ।।
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा।।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई।।
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी।।
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं।।
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई।।
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला।।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई।।
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा।।
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई।।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर।।
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी।।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै।।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो।।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो।।
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई।।
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी।।
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं।।
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।।
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन।।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं।।
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।।
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई।।
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी।।
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।।
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ।।
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा।।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।।
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे।।
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी।।
दोहा।।
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश।।
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण।।
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