पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह में मासिक शिवरात्रि व्रत 29 नवंबर (Masik shivratri 2024 Date) को किया जाएगा। मान्यता के अनुसार इस व्रत को विधिपूर्वक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही विवाह में आ रही बाधा से छुटकारा मिलता है। इस दिन पूजा के दौरान श्री शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करना फलदायी साबित होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि व्रत करने से मनचाहा वर मिलता है। साथ ही पत्नी-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं। इस दिन श्री शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से जातक के दुख, कष्ट, रोग और दरिद्रता का नाश होता है। साथ ही भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। आइए पढ़ते हैं श्री शिव रक्षा स्तोत्र और जानते हैं इस तिथि का शुभ मुहूर्त।
मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Masik Shivratri 2024 Puja Muhurat)
पंचांग के अनुसार,
मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 29 नवंबर 2024, प्रातः 08 बजकर 29 मिनट पर हो शुरू हो रही है। साथ ही इस तिथि का समापन 30 नवंबर को प्रातः 10 बजकर 29 मिनट पर होने जा रहा है। ऐसे में मासिक शिवरात्रि का व्रत 29 नवंबर को किया जाएगा।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 07 मिनट से 06 बजकर 01 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तकगोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 48 मिनट तक
अमृत काल- रात्रि 02 बजकर 56 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक
यह भी पढ़ें: Masik shivratri 2024: मार्गशीर्ष माह में कब है मासिक शिवरात्रि? अभी नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
॥ श्री शिव रक्षा स्तोत्रम ॥
॥ विनियोग ॥श्री गणेशाय नमः॥अस्य श्रीशिवरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य याज्ञवल्क्य ऋषिः॥श्री सदाशिवो देवता॥ अनुष्टुप् छन्दः॥श्रीसदाशिवप्रीत्यर्थं शिवरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः॥॥ स्तोत्र पाठ ॥चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम्।अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम्॥1॥गौरीविनायकोपेतं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रकम्।
शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नरः॥2॥गंगाधरः शिरः पातु भालं अर्धेन्दुशेखरः।नयने मदनध्वंसी कर्णो सर्पविभूषण॥3॥घ्राणं पातु पुरारातिः मुखं पातु जगत्पतिः।जिह्वां वागीश्वरः पातु कंधरां शितिकंधरः॥4॥श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः।भुजौ भूभारसंहर्ता करौ पातु पिनाकधृक्॥5॥हृदयं शंकरः पातु जठरं गिरिजापतिः।नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्राजिनाम्बरः॥6॥
सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागतवत्सलः।उरू महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः॥7॥जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः।चरणौ करुणासिंधुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः॥8॥एतां शिवबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।स भुक्त्वा सकलान्कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्॥9॥ग्रहभूतपिशाचाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये।दूरादाशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात्॥10॥अभयङ्करनामेदं कवचं पार्वतीपतेः।
भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम्॥11॥इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽऽदिशत्।प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यः तथाऽलिखत॥12॥॥ इति श्रीयाज्ञवल्क्यप्रोक्तं शिवरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥महामृत्युंजय मंत्रॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥शिव नामावली मंत्र।। श्री शिवाय नम:।।
।। श्री शंकराय नम:।।।। श्री महेश्वराय नम:।।।। श्री सांबसदाशिवाय नम:।।।। श्री रुद्राय नम:।।।। ओम पार्वतीपतये नम:।।।। ओम नमो नीलकण्ठाय नम:।।
यह भी पढ़ें: Guru Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन शिव जी को लगाएं ये भोग, पति-पत्नी के रिश्ते में आएगी शहद जैसी मिठास
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।