Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न, चमक जाएगी आपकी किस्मत
ऐसी मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2024) की पूजा के दौरान शिव स्तुति मंत्र का पाठ करने से भोलेनाथ और मां पार्वती की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इसके अलावा सुख-समृद्धि में अपार वृद्धि होती है। इसलिए शिव स्तुति का पाठ जरूर करना चाहिए। चलिए पढ़ते हैं शिव स्तुति का पाठ।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kab Hai Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि का त्योहार देवों के महादेव को समर्पित है। यह पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। इस बार आषाढ़ माह में मासिक शिवरात्रि 04 जुलाई को है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही सभी मुरादें पूरी करने के लिए व्रत भी किया जाता है।
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मासिक शिवरात्रि 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Masik Shivratri 2024 Date and Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 04 जुलाई को सुबह 05 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 05 जुलाई को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में 04 जुलाई को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी।शिव स्तुति (Shiv Stuti Ka Path)
पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1।महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।2।गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।3।
शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।4।परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।5।न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।6।
अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।7।नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।8।प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।9।
शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।10।त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।11।यह भी पढ़ें: Guru Purnima 2024: जुलाई महीने में कब मनाई जाएगी व्यास जयंती? जानें शुभ मुहूर्त एवं धार्मिक महत्व
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