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Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि पर ऐसे करें महादेव की पूजा, वैवाहिक जीवन होगा खुशहाल

शिव भक्तों के लिए मासिक शिवरात्रि का पर्व अधिक महत्वपर्ण होता है। इस दिन साधक व्रत कर शिव जी की पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि भगवान महादेव की विधिपूर्वक उपासना करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के संकटों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं कि मासिक शिवरात्रि की डेट शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 01 Jul 2024 12:23 PM (IST)
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Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को है समर्पित

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Shivratri 2024 Date and Time: हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार आषाढ़ माह की मासिक शिवरात्रि 04 जुलाई (Kab Hai Masik Shivratri 2024) को पड़ रही है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही सुखी वैवाहिक जीवन पाने के लिए व्रत भी किया जाता है।

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मासिक शिवरात्रि 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Masik Shivratri 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 04 जुलाई को सुबह 05 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 05 जुलाई को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर होगा। ऐसे में 04 जुलाई को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी।

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि (Masik Shivratri Puja Vidhi)

  • मासिक शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • घर और मंदिर की सफाई करें। गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
  • चौकी पर भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा विराजमान करें।
  • शहद, गंगाजल, दूध, जल और दही से शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • बेलपत्र और भांग अर्पित करें।
  • मां पार्वती को श्रृंगार की चीजें अर्पित करें।
  • देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें। साथ ही मंत्रों का जप करें और शिव चालीसा का पाठ करें।
  • प्रभु को खीर, हलवा और मिठाई का भोग लगाएं।
  • श्रद्धा अनुसार जरूरतमंदों को विशेष चीजों का दान करें।

भगवान शिव के मंत्र (Lord Shiv Mantra)

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

शिव स्तुति मंत्र

द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।

उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।