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Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि पर करें शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र, देखते ही देखते बन जाएंगे बिगड़े काम

मासिक शिवरात्रि को खास महत्व दिया गया है। इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ समस्त शिव परिवार की पूजा-अर्चना करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। माना जाता है कि केवल जलाभिषेक से ही शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसे में आप मासिक शिवरात्रि के दिन इस स्तोत्र का पाठ करके दोगुना फल प्राप्त कर सकते हैं।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 03 May 2024 06:08 PM (IST)
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Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि पर करें शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Shivratri 2024 Date: हर माह की कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। यह तिथि शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है। कई साधक इस दिन शिव जी के निमित्त व्रत भी करते हैं। ऐसे में आप भोलेशकंर की विशेष कृपा के लिए मासिक शिवरात्रि पर शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। इससे आपको भोलेनाथ की कृपा से जीवन में शुभ परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Masik shivratri Puja Muhurat)

वैशाख माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 06 मई को दोपहर 02 बजकर 40 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 07 मई को सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर होगा। ऐसे में मासिक शिवरात्रि का व्रत 06 मई, सोमवार के दिन रखा जाएगा। मासिक शिवरात्रि में भगवान शिव की पूजा रात्रि में करने का विधान है। इस दौरान पूजा मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -

मासिक शिवरात्रि पूजा मुहूर्त - रात 11 बजकर 56 मिनट से रात्रि 12 बजकर 39 मिनट तक

शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र (Rudrashtakam Stotram)

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।

विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।

चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।1।।

निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं ।

गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।।

करालं महाकालकालं कृपालं ।

गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ।।2।।

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं ।

मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।।

स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा ।

लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।3।।

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं ।

प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।।

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं ।

प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ।।4।।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं ।

अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।।

त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं ।

भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।5।।

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी ।

सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।।

चिदानन्दसंदोह मोहापहारी ।

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।6।।

न यावद् उमानाथपादारविन्दं ।

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।

न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं ।

प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ।।7।।

न जानामि योगं जपं नैव पूजां ।

नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।।

जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं ।

प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ।।8।।

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।9।।

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