Matangi Jayanti 2023: इस तारीख को है मातंगी जयंती, जानें, पूजा का शुभ समय और विधि
Matangi Jayanti 2023 धार्मिक मान्यता है कि देवी माता मातंगी की पूजा उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती हैं। साथ ही माता की कृपा से जीवन में सुख शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 17 Apr 2023 02:31 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Matangi Jayanti 2023: हिंदी पंचांग के अनुसार, हर वर्ष वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मातंगी जयंती मनाई जाती है। इस प्रकार साल 2023 में 23 अप्रैल को मातंगी जयंती है। इस दिन दस महाविद्याओं की एक देवी माता मातंगी की पूजा उपासना करने का विधान है। देवी मातंगी संगीत की अधिष्ठात्री देवी हैं। धार्मिक मान्यता है कि देवी माता मातंगी की पूजा उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती हैं। साथ ही माता की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। ऐसा माना जाता है कि महज नाम मात्र के स्मरण से घर में साधक को वैभव की प्राप्ति होती है। इसके लिए साधक श्रद्धाभाव से मां मातंगी की पूजा आराधना करते हैं। साथ ही माता के निमित्त व्रत उपवास भी करते हैं। आइए, महत्व और पूजा विधि जानते हैं-
मातंगी जयंती महत्वइस दिन माता के मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है। भक्ति भाव से मैया की पूजा अर्चना कर मां का आह्वान किया जाता है। साथ ही भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है। तंत्र मंत्र सीखने वाले साधक कठिन भक्ति कर मां को प्रसन्न करते हैं। मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्ति मैया के दर्शन हेतु पहुंचते हैं। इस मौके पर जय माता दी का उद्घोष करते हैं। इससे समस्त वातावरण मैयामय हो जाता है। कहते हैं कि माता मातंगी की पूजा करने वालों को सभी कार्यों में सिद्धि यानी सफलता प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख, शांति और धन प्राप्त होता है।
माँ मातंगी की पूजन विधिइस दिन सुबह में उठने के बाद सबसे पहले मां का ध्यान करें। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत होकर नवीन वस्त्र धारण करें। अब आचमन कर सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। फिर, पूजा गृह को गंगाजल से शुद्ध करें और एक चौकी पर माता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद मां को वस्त्र और श्रृंगार का समान भेंट करें। अब माता मातंगी की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, कुमकुम आदि चीजों से करें।
माँ मातंगी देवी ध्यान:श्यामांगी शशिशेखरां त्रिनयनां वेदैः करैर्विभ्रतीं, पाशं खेटमथांकुशं दृढमसिं नाशाय भक्तद्विषाम् ।रत्नालंकरणप्रभोज्जवलतनुं भास्वत्किरीटां शुभां, मातंगी मनसा स्मरामि सदयां सर्वाथसिद्धिप्रदाम् ।।अंत में आरती अर्चना कर अपनी मनोकामना कागज पर लिखकर चौकी पर रख दें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती अर्चना करने के बाद फलाहार करें। इस व्रत को करने से साधक को मनचाहा वर मिलता है।
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