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Narak Chaturdashi 2022: नरक चतुर्दशी पर्व आज, जानें- मुहूर्त और स्नान समय

Narak-Chaturdashi-2022 Puja Vidhi दिवाली अब ज्यादा दिन दूर नहीं है। ऐसे में इस पर्व से जुड़े अन्य व्रत त्योहारों की जानकारी होना आवश्यक है। बता दें की दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी व्रत रखा जाता है।

By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Sun, 23 Oct 2022 01:50 PM (IST)
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Narak Chaturdashi 2022: जानें कब रखा जाएगा नरक चतुर्दशी व्रत और क्या है इस मुहूर्त समय।
नई दिल्ली, Narak Chaturdashi 2022 Date: कार्तिक महीने में कई मुख्य पर्व और व्रत रखे जाते हैं। इन सभी में मुख्य पर्व दिवाली से ठीक एक दिन पहले नरक चतुर्दशी पर्व मनाया जाता है। किवदंतियों के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर सृष्टि को उसके प्रकोप से बचाया था. इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है। हर कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2022 Date) पर्व मनाया जाता है। 

नरक चतुर्दशी पर्व को नरक चौदस, रूप चौदस और काली चौदस जैसे नामों से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार यह व्रत दिवाली से एक दिन पहले रखा जाता है। लेकिन इस वर्ष अद्भुत संयोग के कारण दोनों महत्वपूर्ण पर्व एक साथ मनाए जाएंगे। आइए जानते हैं किस दिन रखा जाएगा यह व्रत, मुहूर्त और इस दिन क्या करना चाहिए।

नरक चतुर्दशी 2022 व्रत मुहूर्त (Narak Chaturdashi 2022 Shubh Muhurat)

  • कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ: 23 अक्टूबर 2022 को शाम 06 बजकर 03 मिनट से

  • चतुर्दशी तिथि समापन: 24 अक्टूबर 2022 को शाम 05 बजकर 27 मिनट पर

  • नरक चतुर्दशी व्रत तिथि: 24 अक्टूबर 2022, सोमवार

  • स्नान मुहूर्त: 24 अक्टूबर 2022, सुबह 05:08 - सुबह 06:31

  • काली चौदस 2022 तिथि और मुहूर्त: 23 अक्टूबर 2022, रविवार रात 11:42 से 24 अक्टूबर 2022 प्रात: 12:33 तक

नरक चतुर्दशी के दिन करें ये काम (Narak Chaturdashi 2022 Upay)

  • किवदंतियों के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध सृष्टि को उसके प्रकोप से बचाया था। इसलिए इस दिन कान्हा की पूजा से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है।

  • नरक चतुर्दशी व्रत के दिन सुबह शरीर पर उबटन लगाने के बाद नहाने के फायदे को शास्त्रों में भी बताया गया है। माना जाता है कि ऐसा करने से रूप में निखार आता है।

  • इस दिन संध्या के समय घर के मुख्य द्वार पर दीपक जरूर जलाएं। साथ ही निमित्त आटे का चौमुखी दीपक जलाना भी नही भूलना चाहिए। इससे देवता यमराज प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के परिवार की अकाल मृत्यु से रखा होती है।

  • इस दिन दक्षिण दिशा में मुख कर 'मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्।। ' मंत्र का जाप करना चाहिए।

देवता यमराज के इन मंत्रों का भी करें जाप (Yamraj Mantra)

  • यमाय नम: यमम् तर्पयामि।

  • यमाय धर्मराजाय मृत्ये चांतकाय च, वैवस्वताय कालाय सर्वभूतक्षयाय च।

  • औदुम्बराय दध्राय नीलीय परमिष्ठिने, व्रकोदराय चित्राय चित्रगुप्ताय वै नम:।।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।