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Navratri 2019 Special Maa Durga Aarti: नवरात्रि में पूजा के समय जरूर करें मां दुर्गा की आरती, खुलेंगे उन्नति के द्वार

Maa Durga Aarti जय अम्बे गौरी. नवरात्रि में पूजा के दौरान मां दुर्गा की आरती जरूरी है। आरती के समय जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी...का गान जरूर करें

By kartikey.tiwariEdited By: Updated: Mon, 30 Sep 2019 03:33 PM (IST)
Navratri 2019 Special Maa Durga Aarti: नवरात्रि में पूजा के समय जरूर करें मां दुर्गा की आरती, खुलेंगे उन्नति के द्वार
Maa Durga Aarti: नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना का विशेष महत्व है। नवरात्रि के समय विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है, जिससे वे प्रसन्न होकर भक्तों के दुखों को हर लेती हैं। साथ ही वे सभी मनोकामनाओं को भी पूर्ण करती हैं। पूजा के दौरान आरती जरूरी है। आरती करते समय माता की आरती जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी... का गान जरूर करें।

आरती के समय थाल में कपूर या फिर गाय के घी का दीपक जलाकर मां दुर्गा की आरती करनी चाहिए। आरती के साथ ही शंख और घंटी अवश्य बजाएं। आरती के समय शंघनाद और घंटी की ध्वनि से घर के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। नकारात्मकता के खत्म होने से व्यक्ति का विकास होता है, उन्नति के द्वार खुल जाते हैं।

नवरात्रि में प्रत्येक दिन प्रात:काल और संध्या की पूजा के समय आरती नियम पूर्वक करें।

दुर्गा जी की आरती/Maa Durga Aarti

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।। जय अम्बे गौरी,...।

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी,...।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी,...।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी,...।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।

शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।। जय अम्बे गौरी,...।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय अम्बे गौरी,...।

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय अम्बे गौरी,...।

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।। जय अम्बे गौरी,...।

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।। जय अम्बे गौरी,...।

भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।। जय अम्बे गौरी,...।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।

अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।। जय अम्बे गौरी,...।