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New year 2024: नववर्ष की पूजा में करें इस शक्तिशाली रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ, सदैव महादेव की बनी रहेगी कृपा

नए साल 2024 के पहले दिन सोमवार है। सनातन धर्म में सोमवार के दिन देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि सोमवार की पूजा के दौरान शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करने या सुनने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और जीवन सुखमय होता है। साथ ही भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।

By Jagran News Edited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 01 Jan 2024 10:37 AM (IST)
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New year 2024: नववर्ष की पूजा में करें इस शक्तिशाली रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ, सदैव महादेव की बनी रहेगी कृपा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shiv Stuti Lyrics in Hindi: नया साल 2024 आ गया है। हर कोई चाहता है कि नए साल में जीवन में सदैव सुख-शांति बनी रहे। नववर्ष में शुभ फल की प्राप्ति के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं, जिससे उनको देवी-देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में खुशियों का आगमन होता है। आज नए साल के पहले दिन सोमवार है। सनातन धर्म में सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि सोमवार की पूजा के दौरान शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करने या सुनने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नए साल के पहले दिन रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से साधक को सुख-शांति प्राप्त होती है। चलिए पढ़ते हैं रुद्राष्टकम स्तोत्-

शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र (Rudrashtakam Stotram Lyrics in Hindi)

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।

विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।

चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।1।।

निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं ।

गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।।

करालं महाकालकालं कृपालं ।

गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ।।2।।

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तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं ।

मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।।

स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा ।

लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।3।।

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं ।

प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।।

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं ।

प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ।।4।।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं ।

अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।।

त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं ।

भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।5।।

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी ।

सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।।

चिदानन्दसंदोह मोहापहारी ।

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।6।।

न यावद् उमानाथपादारविन्दं ।

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।

न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं ।

प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ।।7।।

न जानामि योगं जपं नैव पूजां ।

नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।।

जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं ।

प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ।।8।।

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।9।।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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Author- Kaushik Sharma

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'