Paush Amavasya 2022 हिन्दू धर्म में पौष अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान सूर्य चंद्र देव और श्री हरि की विशेष उपासना का विधान है। शास्त्रों में इस दिन के लिए कई पूजा विधि बताए गए हैं। जिन्हें करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है।
By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Fri, 23 Dec 2022 11:51 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Paush Amavasya 2022: हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि के दिन चंद्र की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस तिथि पर चंद्र देव अपनी सभी कलाओं से परिपूर्ण रहते हैं और उनकी किरणों में चमत्कारी गुण होते हैं। बता दें कि पौष मास की अमावस्या तिथि के दिन चंद्र दर्शन के साथ-साथ तर्पण, पिंडदान व भगवान सूर्य एवं श्रीहरि की विधिवत पूजा का विधान भी है। मान्यता यह भी है कि वर्ष 2022 के अंतिम अमावस्या के दिन चंद्र देव की उपासना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन तर्पण व पिंडदान इत्यादि करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं पौष अमावस्या के दिन किन मंत्रों का किया जाना चाहिए उच्चारण और किन उपायों से मिलता है लाभ।
पौष अमावस्या के दिन करें ये उपाय (Paush Amavasya 2022 Upay)
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शास्त्रों में बताया गया है कि अमावस्या तिथि के दिन पिंडदान व तर्पण इत्यादि करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलने में सहायता मिलती है और व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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अमावस्या तिथि के दिन पीपल वृक्ष की पूजा का भी विशेष महत्व है। सनातन धर्म के अनुसार पीपल के वृक्ष में देवताओं का वास होता है। इस दिन इस वृक्ष को जल अर्पित करें और दीपक जलाएं। ऐसा करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
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पौष मास को लघु पितृ पक्ष के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए अमावस्या तिथि के दिन पितृ स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करने से भी पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
पौष अमावस्या पर करें इन मंत्रों का जाप (Paush Amavasya 2022 Mantra)
* ॐ इमं देवा असपत्नं ग्वं सुवध्यं।महते क्षत्राय महते ज्यैश्ठाय महते जानराज्यायेन्दस्येन्द्रियाय इमममुध्य पुत्रममुध्यै
पुत्रमस्यै विश वोमी राज: सोमोस्माकं ब्राह्माणाना ग्वं राजा।* ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।
* ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।* ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:।* चंद्र देव गायत्री मंत्र- ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।* चंद्र देव बीज मंत्र- ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नम:।
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