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Paush Purnima 2024: पौष पूर्णिमा के दिन ऐसे करें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा, बदल जाएगी आपकी किस्मत

सनातन धर्म में पूर्णिमा का अधिक महत्व है। पौष माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि पूर्णिमा की तिथि चंद्रमा की प्रिय होती है। पौष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान दान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का विधान है। साथ ही इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaPublished: Fri, 19 Jan 2024 11:00 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jan 2024 11:00 AM (IST)
Paush Purnima 2024: पौष पूर्णिमा दिन ऐसे करें भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा, बदल जाएगी आपकी किस्मत

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Paush Purnima 2024: सनातन धर्म में पूर्णिमा का अधिक महत्व है। पौष माह में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि पूर्णिमा की तिथि चंद्रमा की प्रिय होती है। पौष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का विधान है। साथ ही इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पौष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान कर विधिपूर्वक भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में खुशियों का आगमन होता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए, पौष पूर्णिमा की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में जानते हैं-

पौष पूर्णिमा 2024 डेट और शुभ मुहूर्त

पौष पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 24 जनवरी को देर रात्रि 09 बजकर 49 मिनट पर होगी और इसके अगले दिन यानी 25 जनवरी को देर रात्रि 11 बजकर 23 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस बार 25 जनवरी, गुरुवार के दिन साल 2024 की पहली पूर्णिमा मनाई जाएगी।

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पौष पूर्णिमा पूजा विधि

  • पौष पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रणाम करें।
  • इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और मंदिर की साफ-सफाई करें।
  • इसके बाद गंगाजल छिड़ककर मंदिर को शुद्ध करें।
  • अब भगवान सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
  • पंचोपचार कर विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • भगवान विष्णु को पीले रंग का फल, हल्दी, जौ, अक्षत आदि चीजें अर्पित करें। साथ ही मां लक्ष्मी को लाल फूलों की माला, चुनरी और श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
  • इसके बाद विष्णु चालीसा का पाठ करें।
  • इसके पश्चात आरती करें। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को भोग लगाएं
  • अंत में प्रसाद का वितरण करें।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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