Chandra Dev Aarti: आज सावन के चौथे सोमवार पर करें चंद्र देव की आरती, मनचाही मुराद होगी पूरी
Chandra Dev Aarti शिव पुराण में सावन सोमवार के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती की सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा भी मजबूत होता है। कुंडली में चंद्रमा मजबूत होने से मन प्रसन्न रहता है। साथ ही सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Chandra Dev Aarti: आज सावन महीने की चौथी सोमवारी है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन शिव भक्त श्रद्धा भाव से सृष्टि के रचयिता देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही सावन सोमवार का व्रत रखते हैं। सनातन धर्म ग्रंथ शिव पुराण में सावन सोमवार के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती की सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती हैं। भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में चंद्रमा भी मजबूत होता है। कुंडली में चंद्रमा मजबूत होने से मन प्रसन्न रहता है। साथ ही सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। अगर आप मानसिक तनाव से निजात पाना चाहते हैं, तो आज सावन सोमवार पर पूजा के समय चंद्र देव की आरती और इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।
चन्द्र देव आरती
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा ।
दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी ।
रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी ।
दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी ।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे ।
सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि ।
योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें ।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा ।
वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी ।
प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी ।
शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी ।
धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे ।
विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी ।
सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें ।
ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा ।
चंद्र मंत्र
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।
ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:।
चंद्रमा का बीज मंत्र
ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।
चंद्रमा का वैदिक मंत्र:
ॐ इमं देवा असपत्न सुवध्वं महते क्षत्राय महते
ज्यैष्ठयाय महते जानराज्यायेनद्रस्येन्द्रियाय।
इमममुष्य पुत्रममुष्यै पुत्रमस्यै विश
एष वोमी राजा सोमोस्मांक ब्राह्मणाना राजा।।
चंद्रमा गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।
डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'