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Aarti Shri Ram Ji Ki: आज पूजा के समय करें भगवान श्रीराम की आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

Aarti Shri Ram Ji Ki धार्मिक मान्यता है कि भगवान राम की भक्ति करने से हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी कृपा से साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। इसलिए हनुमान जी को संकट मोचन भी कहा गया है। अगर आप भी जीवन में व्याप्त दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं तो मंगलवार के दिन पूजा के समय श्रीराम जी की आरती करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 25 Jul 2023 11:35 AM (IST)
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Aarti Shri Ram Ji Ki: आज पूजा के समय करें भगवान श्रीराम की आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Aarti Shri Ram Ji Ki: आज मंगलवार है। यह दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम राम के सेवक और परम भक्त हनुमान को समर्पित होता है। इस दिन साधक श्रद्धा भाव से हनुमान जी की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखते हैं। सनातन धर्म ग्रंथों में निहित कि त्रेता युग में हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष ने रावण और कुंभकर्ण रूप में जन्म लिया। दोनों असुरों के वध हेतु जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने राम रूप में अवतार लिया। उस समय भगववान विष्णु की सहायता हेतु हनुमान जी के रूप में देवों के देव महादेव अवतरित हुए। अतः त्रेता युग में सेवक बन हनुमान जी ने भगवान श्रीराम की सेवा की। धार्मिक मान्यता है कि भगवान राम की भक्ति करने से हनुमान जी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी कृपा से साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। इसलिए हनुमान जी को संकट मोचन भी कहा गया है। अगर आप भी जीवन में व्याप्त दुख और संकट से निजात पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन पूजा के समय श्रीराम जी और रामायण जी की आरती करें।

रामायण आरती

आरती श्री रामायण जी की ।

कीरति कलित ललित सिया पी की ।।

आरती श्री रामायण जी की…

गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद,

बाल्मीकि विज्ञान विशारद ।

सुक सनकादि शेष अरू शारद,

बरनी पवन सुत कीर्ति निकी ।।

आरती श्री रामायण जी की …

गावत वेद पुराण अष्टदस,

छओं शाश्त्र सब ग्रन्थ को रस ।

मुनिजन धन संतन को सरबस,

सार अंश सम्मत सब ही की ।।

आरती श्री रामायण जी की…

गावत संतत शम्बू भवानी,

अरू घट संभव मुनि विग्यानी।

व्यास आदि कवी पुंज वखाणी,

काग भुसुंडि गरुड़ के ही की ।।

आरती श्री रामायण जी की…

कलिमल हरनि विषय रास फीकी,

सुभग सिगार मुक्ति जुवती की ।

दलन रोग भव भूरी अभी की,

तात मात सब विधि तुलसी की ।।

श्रीराम जी की आरती

आरती कीजै रामचंद्र जी की ।

हरि हरि दुष्ट दलन सीतापति जी की ।।

पहली आरती पुष्पन की माला ।

काली नागनाथ लाए गोपाला ।।

दूसरी आरती देवकी नंदन ।

भक्त उभारण कंस निकंदन ।।

तीसरी आरती त्रिभुवन मन मोहे ।

रतन सिंहासन सीताराम जी सोहे ।।

चौथी आरती चहुं युग पूजा ।

देव निरंजन स्वामी और न दूजा ।।

पांचवी आरती राम को भावे ।

राम जी का यश नामदेव जी गावे।।

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