Phulera Dooj 2023: मांगलिक और शुभ कामों के लिए बेहद खास है आज का दिन, जानिए शुभ मुहूर्त
Phulera Dooj 2023 Muhurat शास्त्रों के अनुसार फुलेरा दूज में किसी भी शुभ या मांगलिक काम को करने से अच्छे फलों की प्राप्ति है। यह एक दिन होता है जिसमें किसी भी तरह के मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है।
By Shivani SinghEdited By: Shivani SinghUpdated: Tue, 21 Feb 2023 07:15 AM (IST)
नई दिल्ली, Phulera Dooj 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाता है। इस दिन प्रेम के प्रतीक भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा अर्चना की जाती है। वहीं ब्रज सहित अन्य मंदिरों में श्री कृष्ण और राधा रानी के साथ फूलों की होली खेली जाती है। हिंदू धर्म में फुलेरा दूज को शुभ दिन माना जाता है। इस दिन बिना मुहूर्त देखे किसी भी मांगलिक या शुभ काम को करने से फल भी शुभ प्राप्त होता है। जानिए फुलेरा दूज का में मांगलिक और शुभ काम करने का मुहूर्त। इस दिन सगाई, विवाह सहित अन्य शुभ काम करना अच्छा माना जाता है।
फुलेरा दूज 2023 शुभ मुहूर्त
फुलेरा दूज द्वितीया तिथि आरंभ- 21 फरवरी 2023, मंगलवार को सुबह 09 बजकर 04 मिनट पर शुरूद्वितीया तिथि का समापन- 22 फरवरी को सुबह 05 बजकर 57 मिनट पर होगा।
गोधूलि मुहूर्त - 21 फरवरी को शाम 06 बजकर 13 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 38 मिनट तक
फुलेरा दूज को कर सकते हैं मांगलिक काम
शास्त्रों के अनुसार, फूलेरा दूज के दिन शुभ और मांगलिक कामों को करने शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इस समय गुरु बृहस्पति उदय है। इसलिए शादी-विवाह जैसे मांगलिक काम करना शुभ होगा। इसके अलावा मुंडन, छेदन, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना शुभ साबित होगा। आप चाहे तो फुलेरा दूज के दिन नए बिजनेस की भी शुरुआत कर सकते हैं।फुलेरा दूज मनाने का कारण
शास्त्रों के अनुसार, एक बार भगवान कृष्ण अधिक व्यस्त थे जिसके कारण काफी लंबे समय तक राधा रानी से नहीं मिल पाए थे। ऐसे में राधा रानी काफी उदास रहने लगी थी। राधा रानी के उदास रहने से प्रकृति पर बुरा असर पड़ने लगा था। ऐसे में पेड़, पौधे, फूल, वन आदि धीरे-धीरे सूखने लगे थे. प्रकृति का ऐसा रूप देखकर भगवान कृष्ण को इस बात का अंदाजा हो गया कि राधा रानी कितना उदास है। ऐसे में श्री कृष्ण राधा रानी से मिलने बरसाना पहुंचे और राधा रानी से मिले। यह देखकर फिर से प्रकृति खिल गई। फिर भगवान कृष्ण से एक फूल तोड़कर राधारानी के ऊपर फेंक दिया। फिर राधारानी से भी एक फूल श्रीकृष्ण के ऊपर फेंक दिया। इसके बाद गोपियों ने भी खुश होकर फूल एक-दूसरे में फेंके। ऐसे हर तरफ फूलों की होली खेली गई। जिस दिन फूलों की होली खेली गई उस दिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। इसी के कारण हर साल इस दिन फूलों की होली को फुलेरा दूज के रूप में मनाते हैं।
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