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Sarva Pitru Amavasya 2023: सर्वपितृ अमावस्या है पितरों को प्रसन्न करने का आखिरी मौका, इस तरह प्राप्त करें कृपा

Pitru Paksha 2023 14 अक्टूबर यानी सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ पक्ष की समाप्ति हो रही है। ऐसे में यह रूठे पितरों को मनाने का आखिरी मौका है। यदि सही विधि से पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाए तो निश्चित ही पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। ऐसे में आइए जानते हैं सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों की नाराजगी को दूर करने के उपाय।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 13 Oct 2023 12:30 PM (IST)
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Shradh 2023 Date सर्वपितृ अमावस्या पर ऐसे दूर करें पितरों की नाराजगी।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Pitra Dosh Upay: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस अवधि में पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करने से उन्हें तृप्ति मिलती है। सर्वपितृ अमावस्या पर परिवार के उन मृतक परिजनों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि हम भूल चुके हों या फिर जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा या चतुर्दशी तिथि को हुई हो। इसे पितरों की विदाई का समय भी माना जाता है।

सर्वपितृ अमावस्या तिथि (Sarvapitri Amavasya Tithi)

अमावस्या तिथि का प्रारम्भ 13 अक्टूबर को रात 09 बजकर 50 मिनट पर हो रहा है। वहीं इसका समापन 14 अक्टूबर रात 11 बजकर 24 मिनट पर होगा। ऐसे में शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेंगे -

कुतुप मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक

रौहिण मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 30 से 01 बजकर 16 मिनट तक

अपराह्न काल - दोपहर 01 बजकर 16 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक

ऐसे करें पितरों का विसर्जन

सर्व पितृ अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। यदि ऐसा संभव न हो तो आप घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। इसके बाद तर्पण, पिंडदान करें। इस दिन 1, 3 या 5 ब्राह्मण को भोजन कराएं। लेकिन इससे पहले पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौवे, देव और चींटी के लिए श्राद्ध का भोग निकालें।

इसके बाद ब्राह्मण को विधि पूर्वक भोजन कराएं। सर्वपितृ अमावस्‍या के भोग में खीर पूड़ी जरूर बनानी चाहिए। भोजन कराने के बाद ब्राह्मण को अपनी क्षमतानुसार दान-दक्षिणा देकर विदा करें। ऐसा करने से हमारे पितृ तृप्त होकर पितृलोक को लौटते हैं।

सर्वपितृ अमावस्‍या का उपाय

सर्वपितृ अमावस्या पर पीपल के वृक्ष का पूजन जरूर करें। क्योंकि इसमें पितरों का भी वास माना गया है। पूजन के दौरान पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा करें। आब वृक्ष के नीचे दीपक में सरसों के तेल में काले तिल मिलाकर छायादान करें। क्योंकि सर्वपितृ अमावस्‍या पर शनि अमावस्या का भी योग बन रहा है तो इस उपाय से शनि की पीड़ा कम हो सकती है।

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