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Pitru Paksha Shradh 2022: पितरों के आत्मा की शांति के लिए इस तरह करें तर्पण, जाने विधि और सामग्री सूची

Pitru Paksha Shradh 2022 पितृपक्ष में तर्पण पिंडदान आदि करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वह अपने वंशजों के उज्जवल भविष्य का आशीर्वाद देते हैं। जानिए क्या है तर्पण की विधि तर्पण सामग्री और मन्त्र।

By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Sat, 10 Sep 2022 10:35 AM (IST)
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Pitru Paksha 2022: शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष में तर्पण करना अनिवार्य है।

नई दिल्ली, Pitru Paksha Shradh 2022: हर वर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृपक्ष की शुरुआत होती है और इसका समापन अश्विन मास की अमावस्या को होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार आज यानि 10 सितंबर 2022, शनिवार (Pitru Paksha Shradh 2022 Date) से पितृपक्ष की शुरूआत हो चूकी है। इस अवधि में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से पूर्वज अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। 15 दिनों तक चलने वाले इस कर्मकांड में पितर कौए के रूप में धरती पर आते हैं और अपने वंशजों के साथ समय बिताते हैं।

हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले लोग पितरों को प्रसन्न करने के लिए नदी में स्नान, पिंडदान, तर्पण, दान इत्यादि करते हैं। शास्त्रों में पिंडदान करने की विधिवत प्रक्रिया बताई गई है जिनका पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है। आइए जानते हैं क्या है तर्पण विधि और उसमें इस्तेमाल की जाने वाले सामग्री की सूची-

पितृपक्ष तर्पण सामग्री सूची (Pitru Paksha 2022 Tarpan Samagri)

पितृपक्ष में तर्पण देते समय तिल, जल, चावल, कुशा, गंगाजल आदि का प्रयोग किया जाता है। वहीं श्राद्ध में पितरों को प्रसन्न करने के लिए केला, सफेद पुष्प, उड़द, गाय के दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, जौ, मूंग, गन्ना इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है।

पितृपक्ष तर्पण विधि (Pitru Paksha Tarpan Vidhi)

शास्त्रों के अनुसार 15 दिनों तक यानि 10 सितंबर से 25 सितंबर तक प्रत्येक दिन तर्पण देना अनिवार्य है। इसके लिए सुबह-सुबह स्नान-ध्यान करके आप कुश, अक्षत, जल, फूल और काला हाथ में ले लें और उनका नाम लेते हुए जल 5-7 या 11 बार धरती पर गिराएं। इसके बाद पितरों से अनजाने में हुई गलतियों के लिए और क्षमा मांगे और इन मंत्रों का जाप करें-

1. पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।

पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।।

प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:।

सर्व पितृभ्यो श्र्द्ध्या नमो नम:।।

2. ॐ नमो व :पितरो रसाय नमो व:

पितर: शोषाय नमो व:

पितरो जीवाय नमो व:

पीतर: स्वधायै नमो व:

पितर: पितरो नमो वो

गृहान्न: पितरो दत्त:सत्तो व:।।

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।