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Pradosh Vrat 2023: इस दिन रखा जाएगा भाद्रपद माह का आखिरी प्रदोष व्रत, जानिए पूजा विधि और महत्व

Pradosh Vrat 2023 जब त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है तो उसी दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। हर माह में दो प्रदोष व्रत किए जाते हैं जिसमे से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय होता है। भाद्रपद का महीना समाप्त होने को है ऐसे में आइए जानते हैं कि भाद्रपद का आखिरी प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Tue, 26 Sep 2023 10:35 AM (IST)
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Pradosh Vrat 2023 जानिए किस दिन रखा जाएगा भाद्रपद माह का आखिरी प्रदोष व्रत?
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Pradosh Vrat 2023 Date: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। इस वर्ष भाद्रपद माह का आखिरी प्रदोष व्रत गणेश उत्सव के दौरान पड़ रहा है, जिस कारण उसका महत्व और भी बढ़ जाता है। भाद्रपद का आखिरी प्रदोष व्रत 27 सितंबर 2023, बुधवार कि दिन रखा जाएगा। बुधवार के दिन पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष के नाम से जाना जाता है।

प्रदोष व्रत का महत्व (Pradosh Vrat Importance)

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भक्त सच्चे मन से प्रदोष व्रत रखता है और भगवान भोलेनाथ के साथ-साथ मां पार्वती की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जीवन सुखमय बनी रहता है और सभी प्रकार के दुख-संताप समाप्त होते हैं।

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh muhurat)

भाद्रपद माह की शुक्ल त्रयोदशी तिथि 27 सितंबर सुबह 01 बजकर 45 मिनट से शुरू हो रही है, जिसका समापन रात्रि 10 बजकर 18 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 27 सितंबर शाम 06 बजकर 12 मिनट से रात 8 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है। जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं, तो वह समय शिव पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।

प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat puja vidhi)

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती का स्मरण करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद पूजा घर की अच्छे से साफ-सफाई कर लें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करें। साथ ही गणेश जी की पूजा भी करें।

भगवान शिव को बेलपत्र, चंदन अक्षत इत्यादि अर्पित करें। वहीं, माता पार्वती को चुनरी और श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। शाम के समय फिर से स्नान करके इसी तरह शिव और पार्वती की पूजा करें। पूजा के बाद शुभ मुहूर्त में फलाहार द्वारा व्रत खोलें।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'