Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Pradosh Vrat 2023: पितृ पक्ष में कब है प्रदोष व्रत? मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इस विधि से करें पूजा

Pradosh Vrat 2023 Date इस वर्ष आश्विन माह का पहला प्रदोष व्रत पितृ पक्ष के दौरान पड़ रहा है। प्रदोष व्रत मुख्यतः देवों के देव महादेव को समर्पित है। पूरे विधि-विधान के साथ इस व्रत को करने से महादेव की कृपा से भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं पितृ पक्ष में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Wed, 04 Oct 2023 02:49 PM (IST)
Hero Image
Budha Pradosh Vrat जानिए पितृ पक्ष में कब है प्रदोष व्रत?

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Pradosh Vrat 2023: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत रखा जाता है। हर माह में दो प्रदोष व्रत किए जाते हैं, जिसमे से एक शुक्ल पक्ष के दौरान और दूसरा कृष्ण पक्ष के दौरान किया जाता है। आश्विन माह की शुरुआत हो चुकी है। आइए जानते हैं कि पितृ पक्ष के दौरान प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा।

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh muhurat)

आश्विन माह की शुक्ल त्रयोदशी तिथि 11 अक्टूबर दोपहर 03 बजकर 07 मिनट पर प्रारम्भ हो रही है जिसका समापन 12 अक्टूबर शाम 05 बजकर 23 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत 11 अक्टूबर को किया जाएगा। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 58 मिनट से रात 08 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। क्योंकि यह व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है ऐसे में इसे बुध प्रदोष व्रत भी कहा जाता है।

प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat puja vidhi)

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के निवृत हो जाएं। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। इस दिन पूजाघर की अच्छे से साफ-सफाई करने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या तस्वीर एक चौकी पर स्थापित करें। शिव-शक्ति की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करें। अब भगवान शिव को बेलपत्र, चंदन अक्षत आदि चढ़ाएं। साथ ही माता पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। शाम के समय फिर से स्नान करके इसी विधि से भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करें। इसके बाद फलाहार से अपना व्रत खोलें।

इस मंत्र का करें जाप

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि

ये शिव गायत्री मंत्र है। शास्त्रों में इस मंत्र को बहुत ही प्रभावशाली माना गया है। ऐसे में बुध प्रदोष व्रत के दिन इस मंत्र का जाप करने से जातक को जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'