Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत की पूजा से विवाह में आ रही बाधा होगी दूर, महादेव होंगे प्रसन्न
सनातन धर्म में महादेव को सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना संध्याकाल में करने का विधान है। धार्मिक मत है कि उपसना करने से जातक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। इस दिन पूजा के दौरान शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को महत्वपूर्ण माना जाता है। प्रत्येक महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही पूजा के अंत में प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। इस व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक के विवाह में आ रही बाधा दूर होती है और मनचाहा वर मिलता है। साथ ही अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन शिव पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और जातक पर अपनी कृपा बरसाते हैं। साथ ही जीवन की सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
प्रदोष व्रत 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2024 Date and Shubh Muhurat )
पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 सितंबर शाम 04 बजकर 47 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 30 सितंबर शाम 07 बजकर 06 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत 29 सितंबर को किया जाएगा।॥ शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनायभस्माङ्गरागाय महेश्वराय।नित्याय शुद्धाय दिगम्बरायतस्मै न काराय नमः शिवाय॥1॥
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चितायनन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजितायतस्मै म काराय नमः शिवाय॥2॥शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।यह भी पढ़ें: Ravi Pradosh Vrat 2024: कब है पितृपक्ष का प्रदोष व्रत? इस नियम से करें भगवान शिव की पूजा, जानें तिथि और समय
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजायतस्मै शि काराय नमः शिवाय्॥3॥वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनायतस्मै व काराय नमः शिवाय॥4॥यक्षस्वरूपाय जटाधरायपिनाकहस्ताय सनातनाय।दिव्याय देवाय दिगम्बरायतस्मै य काराय नमः शिवाय॥5॥पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ।शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥6॥॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं शिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम्। ॥