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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत की पूजा में इस स्तोत्र का करें पाठ, संकटों से मिलेगी मुक्ति

फरवरी महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 21 फरवरी 2024 दिन बुधवार को रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं का नाश होता है। साथ ही घर में सुख और समृद्धि आती है। यदि आप अपने जीवन में व्याप्त दुख संकट और शत्रुओं से मुक्ति पाना चाहते हैं तो प्रदोष काल में इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Wed, 21 Feb 2024 07:00 AM (IST)
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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत की पूजा में इस स्तोत्र का करें पाठ, संकटों से मिलेगी मुक्ति

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rudrashtakam Stotram Lyrics: सनातन धर्म में हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान शिव के संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। माघ महीने का दूसरा प्रदोष 21 फरवरी को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं का नाश होता है। साथ ही घर में सुख और समृद्धि आती है। यदि आप अपने जीवन में व्याप्त दुख, संकट और शत्रुओं से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो प्रदोष काल में इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।

प्रदोष व्रत 2024 शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2024 Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 21 फरवरी सुबह 11 बजकर 27 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 22 फरवरी, 2024 दोपहर 01 बजकर 21 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। ऐसे में फरवरी महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 21 फरवरी, 2024 दिन बुधवार को रखा जाएगा।

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शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र (Rudrashtakam Stotram Lyrics in Hindi)

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।

विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।

चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।1।।

निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं ।

गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।।

करालं महाकालकालं कृपालं ।

गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ।।2।।

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं ।

मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।।

स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा ।

लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।3।।

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं ।

प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।।

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं ।

प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ।।4।।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं ।

अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।।

त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं ।

भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।5।।

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी ।

सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।।

चिदानन्दसंदोह मोहापहारी ।

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।6।।

न यावद् उमानाथपादारविन्दं ।

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।

न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं ।

प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ।।7।।

न जानामि योगं जपं नैव पूजां ।

नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।।

जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं ।

प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ।।8।।

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।9।।

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