Pradosh Vrat 2024: रवि प्रदोष व्रत पर जरूर करें इन मंत्रों का जाप, बनेगा हर बिगड़ा काम
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव के निमत्त प्रदोष व्रत किया जाता है। इस तिथि को शिव जी की कृपा प्राप्त करने के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। ऐसे में प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान शंकर जी के इन मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ravi Pradosh Vrat 2024: हर माह में प्रदोष काल में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। इस तिथि को शिव जी की पूजा-अर्चना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में शिव जी की पूजा करने से साधक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे में आप महादेव की विशेष कृपा के लिए प्रदोष व्रत पर आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh muhurat)
चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अप्रैल को रात्रि 10 बजकर 41 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, त्रयोदशी तिथि का समापन 22 अप्रैल को रात्रि 01 बजकर 11 मिनट पर होगा। ऐसे में चैत्र माह का दूसरा प्रदोष व्रत 21 अप्रैल, रविवार के दिन किया जाएगा। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 51 से 09 बजकर 02 मिनट तक रहने वाला है। यह व्रत रवि प्रदोष व्रत कहलाने वाला है, क्योंकि इसे रविवार के दिन किया जाएगा।
प्रदोष व्रत मंत्र (Pradosh Vrat Mantra)
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव गायत्री मंत्र
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।शिव स्तुति मंत्र
द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।
उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।यह भी पढ़ें - Ravi Pradosh Vrat 2024: रवि प्रदोष व्रत पर करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, प्राप्त होगा शिवजी का आशीर्वाद
शिव आरोग्य मंत्र
माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।शीघ्र विवाह के लिए मंत्र
- ह्रीं गौर्य नमः
- है गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
- तथा मां कुरू कल्याणि कान्तकान्तां सुदुर्लभाम्।।
- हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया।
- तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।