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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को इस तरह करें प्रसन्न, जीवन में मिलेंगे शुभ परिणाम

वैशाख माह का प्रदोष व्रत 20 मई को है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपर्वक पूजा-व्रत करने का विधान है। धार्मिक मत है कि व्रत में प्रभु की पूजा करने से जीवन के संकट दूर होते हैं और खुशी और शांति प्राप्त होती है। अगर आप भी महादेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो प्रदोष व्रत के दिन प्रभु की उपासना करें

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 14 May 2024 03:14 PM (IST)
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Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को इस तरह करें प्रसन्न, जीवन में मिलेंगे शुभ परिणाम
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rudrashtakam Stotram Lyrics: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का अधिक महत्व है। हर माह में प्रदोष व्रत 2 बार किया जाता है। यह पर्व कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस बार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 20 मई को है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपर्वक पूजा-व्रत करने का विधान है। धार्मिक मत है कि व्रत में प्रभु की पूजा करने से जीवन के संकट दूर होते हैं और खुशी और शांति प्राप्त होती है। अगर आप भी महादेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन प्रभु की उपासना करें और शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करें। इससे आपको भोलेनाथ की कृपा से जीवन में शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। आइए पढ़ते हैं शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र।

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शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र (Rudrashtakam Stotram)

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।

विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।

चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।1।।

निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं ।

गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।।

करालं महाकालकालं कृपालं ।

गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ।।2।।

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं ।

मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।।

स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा ।

लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।3।।

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं ।

प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।।

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं ।

प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ।।4।।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं ।

अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।।

त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं ।

भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।5।।

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी ।

सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।।

चिदानन्दसंदोह मोहापहारी ।

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।6।।

न यावद् उमानाथपादारविन्दं ।

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।

न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं ।

प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ।।7।।

न जानामि योगं जपं नैव पूजां ।

नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।।

जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं ।

प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ।।8।।

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।9।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।