Pradosh Vrat 2024: इस स्तोत्र के पाठ से प्रसन्न होंगे महादेव, प्राप्त होगा मनचाहा करियर
सनातन धर्म में महादेव को सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। इस दिन भगवान शिव की पूजा होती है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। पंचांग के अनुसार कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत 29 अक्टूबर को किया जाएगा। प्रदोष व्रत की पूजा शिव द्वादशज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्र के पाठ के बिना अधूरी मानी जाती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) के दिन भगवन शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना संध्याकाल में करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक (Lord Shiv Puja Vidhi) उपासना करने से जातक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। साथ उसे और उसके परिवार के सदस्यों पर महादेव की कृपा बनी रहती है। इस दिन शिव द्वादशज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्र (Shiv Dwadash Jyotirling Stotram Lyrics) का पाठ जरूर करना चाहिए। इसके पाठ से शिव जी प्रसन्न होते हैं और मनचाहा करियर मिलता है। आइए पढ़ते हैं शिव द्वादशज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्र।
प्रदोष व्रत 2024 डेट और टाइम शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। इसके लिए 29 अक्टूबर को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। इस दिन प्रदोष काल 5 बजकर 38 मिनट (Pradosh Vrat 2024 Shubh Muhurat) से लेकर शाम 8 बजकर 13 मिनट तक है।
शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 48 मिनट से 05 बजकर 40 मिनट तकविजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 40 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 38 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तकयह भी पढ़ें: Pradosh Vrat 2024: भौम प्रदोष के दिन करें इन चीजों का दान, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात
॥ शिव द्वादशज्योतिर्लिङ्ग स्तोत्रम् ॥
सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्येज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्।भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णतं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये॥श्रीशैलशृङ्गे विबुधातिसङ्गेतुलाद्रितुङ्गेऽपि मुदा वसन्तम्।तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेकंनमामि संसारसमुद्रसेतुम्॥अवन्तिकायां विहितावतारंमुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।अकालमृत्योः परिरक्षणार्थंवन्दे महाकालमहासुरेशम्॥ कावेरिकानर्मदयोः पवित्रेसमागमे सज्जनतारणाय।सदैव मान्धातृपुरे वसन्तमोङ्कारमीशं शिवमेकमीडे॥पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधानेसदा वसन्तं गिरिजासमेतम्।सुरासुराराधितपादपद्मंश्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि॥याम्ये सदङ्गे नगरेऽतिरम्येविभूषिताङ्गं विविधैश्च भोगैः।सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकंश्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये॥महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तंसम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः। सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यैःकेदारमीशं शिवमेकमीडे॥सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तंगोदावरीतीरपवित्रदेशे।यद्दर्शनात्पातकमाशु नाशंप्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीड॥सुताम्रपर्णीजलराशियोगेनिबध्य सेतुं विशिखैरसंख्यैः।श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तंरामेश्वराख्यं नियतं नमामि॥यं डाकिनीशाकिनिकासमाजेनिषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च।सदैव भीमादिपदप्रसिद्धंतं शङ्करं भक्तहितं नमामि॥ सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम्।वाराणसीनाथमनाथनाथंश्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये॥इलापुरे रम्यविशालकेऽस्मिन्समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम्।वन्दे महोदारतरस्वभावंयरघृष्णेश्वराख्यं शरणं प्रपद्ये॥ज्योतिर्मयद्वादशलिङ्गकानांशिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण।स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्याफलं तदालोक्य निजं भजेच्च॥1॥ इति श्रीद्वादशज्योतिर्लिङ्गस्तोत्रम् सम्पूर्णम्। ॥प्रदोष व्रत के मंत्र (Pradosh Vrat Mantra)
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥