Move to Jagran APP

Pradosh Vrat 2024: सभी कार्यों में चाहते हैं सफलता, तो प्रदोष व्रत के दिन करें इस स्तोत्र का पाठ

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) का विशेष महत्व बताया गया है। यह व्रत हर माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है और सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 14 Oct 2024 03:08 PM (IST)
Hero Image
Lord Shiv: इस स्तोत्र के बिना अधूरी है पूजा

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत 15 अक्टूबर (Pradosh Vrat 2024 Date) को किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। अगर आप सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो प्रदोष व्रत के दिन शिव पंचाक्षर स्तोत्र और श्री शिवरामाष्टक स्तोत्र का पाठ करें। इसका पाठ करने से जातक की मुरादें पूरी होती हैं।

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 15 अक्टूबर को देर रात 03 बजकर 42 मिनट से होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 16 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। ऐसे में 15 अक्टूबर को प्रदोष व्रत किया जाएगा।

॥ शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम् ॥

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनायभस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बरायतस्मै न काराय नमः शिवाय॥

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चितायनन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।

मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजितायतस्मै म काराय नमः शिवाय॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।

श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजायतस्मै शि काराय नमः शिवाय्॥

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनायतस्मै व काराय नमः शिवाय॥

यक्षस्वरूपाय जटाधरायपिनाकहस्ताय सनातनाय।

दिव्याय देवाय दिगम्बरायतस्मै य काराय नमः शिवाय॥

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं शिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम्। ॥

यह भी पढ़ें: Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन राशि अनुसार करें इन चीजों का दान, सभी समस्याओं का होगा अंत

॥ श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम् ॥

शिवहरे शिवराम सखे प्रभो,त्रिविधताप-निवारण हे विभो।

अज जनेश्वर यादव पाहि मां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

कमल लोचन राम दयानिधे,हर गुरो गजरक्षक गोपते।

शिवतनो भव शङ्कर पाहिमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

स्वजनरञ्जन मङ्गलमन्दिर,भजति तं पुरुषं परं पदम्।

भवति तस्य सुखं परमाद्भुतं,शिवहरे विजयं कुरू मे वरम्॥

जय युधिष्ठिर-वल्लभ भूपते,जय जयार्जित-पुण्यपयोनिधे।

जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तुते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

भवविमोचन माधव मापते,सुकवि-मानस हंस शिवारते।

जनक जारत माधव रक्षमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

अवनि-मण्डल-मङ्गल मापते,जलद सुन्दर राम रमापते।

निगम-कीर्ति-गुणार्णव गोपते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

पतित-पावन-नाममयी लता,तव यशो विमलं परिगीयते।

तदपि माधव मां किमुपेक्षसे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

अमर तापर देव रमापते,विनयतस्तव नाम धनोपमम्।

मयि कथं करुणार्णव जायते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

हनुमतः प्रिय चाप कर प्रभो,सुरसरिद्-धृतशेखर हे गुरो।

मम विभो किमु विस्मरणं कृतं,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

नर हरेति परम् जन सुन्दरं,पठति यः शिवरामकृतस्तवम्।

विशति राम-रमा चरणाम्बुजे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

प्रातरूथाय यो भक्त्या पठदेकाग्रमानसः।

विजयो जायते तस्य विष्णु सान्निध्यमाप्नुयात्॥11॥

॥ इति श्रीरामानन्दस्वामिना विरचितं श्रीशिवरामाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

यह भी पढ़ें: Pradosh Vrat 2024: कब मनाया जाएगा आश्विन माह का अंतिम प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं पूजा का समय

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।