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Puja Path Tips: पूजा में किया जाना चाहिए मंत्रों का सही उच्चारण, अन्यथा पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव

Puja Path Tips हिन्दू धर्म में मंत्रों के उच्चारण का विशेष महत्व है। ऐसे कई मंत्रों का उल्लेख किया गया है जिनके उच्चारण से व्यक्ति के जीवन में बड़ा बदलाव आता है। आइए जानते आचार्य श्याम चंद्र मिश्र से जानते हैं कि क्यों किया जाना चाहिए मंत्रों का सही उच्चारण?

By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Sat, 17 Dec 2022 04:35 PM (IST)
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Puja Path Tips: क्यों किया जाना चाहिए मंत्रों का शुद्ध उच्चारण?
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Puja Path Tips, Mantra Jaap Niyam: सनातन धर्म में पूजा-पाठ को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यही कारण है कि पूजा-पाठ के दौरान सभी विधियों का विशेष ध्यान रखा जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान व मांगलिक कार्यों में मंत्रों का उच्चारण पुरोहित अथवा यजमान द्वारा निश्चित रूप से किया जाता है। यह परम्परा आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से चली आ रही है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि वैदिक मंत्रों के उच्चारण से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। लेकिन कई बार मंत्रों का उच्चारण करते हुए लोग अज्ञानतावश कई गलतियां कर बैठते हैं, जिनके कारण पूजा-पाठ का उचित फल उन्हें को नहीं मिल पाता है। ऐसे में व्यक्ति को मंत्रों का जाप व उच्चारण करते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए आचार्य श्याम चंद्र मिश्र से जानिए।

मंत्रों का जाप करते समय रखें इन बातों का विशेष ध्यान (Mantra Jaap ke Niyam)

  • आचार्य मिश्र बताते हैं कि मंत्रों का उच्चारण और जाप करते समय व्यक्ति कुछ बातों विशेष ध्यान रखना चाहिए। सबसे पहले पूजा-स्थल अथवा जाप करने की जगह पर शुद्धता पूर्ण रूप से होनी चाहिए। बिना ध्यान दिए किसी भी स्थान पर जाप करने के दुष्परिणाम भी हो सकते हैं।

  • इसके साथ व्यक्ति को पूजा के समय सभी मंत्रों का उच्चारण शुद्ध करना चाहिए। यदि व्यक्ति को मंत्र कठिन लग रहा है तो उसे किसी पुरोहित व आचार्य से मंत्र का शुद्ध उच्चारण सीख कर फिर जाप करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि अशुद्ध उच्चारण के कारण देवी-देवता क्रोधित हो जाते हैं।

  • किसी अनुष्ठान व मांगलिक कार्य में मंत्रों का उच्चारण एक पुरोहित अथवा विद्वान से ही कराना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि विवाह और हवन इत्यादि में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र जटिल होते हैं और इनमें अशुद्ध उच्चारण होने की सम्भावना कई गुना अधिक होती है। इसलिए इन महत्वपूर्ण आयोजनों में अशुद्ध उच्चारण से बचना चाहिए।

  • ध्यान व योग क्रिया में '' का उच्चारण अधिकांश समय किया जाता है। साथ ही '' के उच्चारण से न केवल वातावरण शुद्ध होता है, बल्कि व्यक्ति मानसिक तनावों से भी दूर रहता है। बता दें कि '' शब्द के रूप में नहीं बल्कि ध्वनि के रूप में कार्य करता है। इसलिए इसका उच्चारण शांत जगह पर पूर्ण श्रद्धा और एकाग्रता के साथ करना चाहिए।

  • भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र के जाप को बहुत ही सार्थक माना जाता है। इसलिए इस विशेष मंत्र का जाप करते समय व्यक्ति शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके साथ इस मंत्र का जाप निश्चित संख्या में ही किया जाना चाहिए। इन सभी के साथ व्यक्ति इस बात भी रखे कि पूजा-पाठ के दौरान वह किसी साफ आसन पर बैठे हों। बिना आसन के पूजा नहीं की जाती है और इसे अशुभ माना जाता है।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।