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Putrada Ekadashi 2023: आज किया जाएगा सावन पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए पारण का शुभ मुहूर्थ और विधि

Putrada Ekadashi vrat Parana शास्त्रों में पुत्रदा एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। इस व्रत को करने से साधक को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। शास्त्रों में एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक माना गया है। वरना इस व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Sun, 27 Aug 2023 09:59 AM (IST)
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Putrada Ekadashi Vrat Parana जानिए सावन पुत्रदा एकादशी व्रत के पारण की विधि।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Putrada Ekadashi 2023 vrat: सनातन धर्म में पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है। साल की दो एकादशियों को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। पौष और श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशियों को पुत्रदा एकादशी कहते हैं। सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत सावन पुत्रदा एकादशी व्रत 27 अगस्त रविवार के दिन किया जाएगा। आइए जानते हैं कि एकादशी के पारण का समय और विधि।

पुत्रदा एकादशी व्रत का महत्व (Sawan Putrada Ekadashi importance)

पुत्रदा एकादशी का व्रत उत्तम फल देने वाला है। जिन दंपतियों को संतान सुख की प्राप्त नहीं होती, उसके लिए पुत्रदा एकदाशी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही इस व्रत को रखने से संतान के सभी कष्ट भी दूर होते हैं और संतान को स्वास्थ्य और अच्छी आयु का वरदान मिलता है। इतना ही नहीं पुत्रदा एकादशी को मोक्ष देने वाली एकादशी के रूप में भी जाना जाता है। इस विशेष दिन पर व्रत करने से जीवन के सभी नकारात्मक प्रभाव व सभी बाधाएं दूर होती हैं।

पुत्रदा एकादशी व्रत पारण का समय (Putrada Ekadashi Vrat Parana)

एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। पारण (व्रत तोड़ने का) समय 28 अगस्त सुबह 05 बजकर 57 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। द्वादशी तिथि 28 अगस्त को शाम 06:22 मिनट पर समाप्त होगी।

पुत्रदा एकादशी व्रत पारण विधि (Putrada Ekadashi Vrat Parana vidhi)

एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। भगवान विष्णु को तुलसी दल अति प्रिय हैं। इसलिए पारण के समय तुलसीदल को अपने मुंह में रखकर पारण करें। पुत्रदा एकादशी व्रत पारण में सात्विक भोजन ही करना चाहिए। पारण करते समय कुछ चीजें का प्रयोग भोजन में भूल कर भी नहीं करना चाहिए। मूली, बैंगन, साग, मसूर दाल, लहसुन-प्याज आदि का पारण में प्रयोग निषेध है। सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों को भोजन और दान के बाद व्रत का पारण करना चाहिए।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'