Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Radha Ashtami 2024: राधा अष्टमी पर करें इन मंत्रों का जप, दूर होंगे सभी दुख एवं कष्ट

ज्योतिषियों की मानें तो राधा अष्टमी (Radha Ashtami 2024) पर प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन रात 11 बजकर 55 मिनट पर होगा। इसके बाद आयुष्मान योग का संयोग बन रहा है। इन योग में राधा रानी संग जगत के पालहार भगवान कृष्ण की विधिपूर्वक पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होंगी।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 05 Sep 2024 08:57 PM (IST)
Hero Image
Radha Ashtami 2024: राधा अष्टमी का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 11 सितंबर को राधा अष्टमी है। यह पर्व हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन श्रीजी एवं भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त राधा अष्टमी का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि राधा रानी संग भगवान कृष्ण की पूजा करने से व्रती को पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुखों का नाश होता है। अगर आप भी राधा रानी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो राधा अष्टमी पर विधि-विधान से श्रीजी एवं भगवान कृष्ण की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

यह भी पढ़ें: भाद्रपद माह में कब है राधा अष्टमी? नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

राधा अष्टमी शुभ मुहूर्त (Radha Ashtami Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और 11 सितंबर को रात 11 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अतः 11 सितंबर को राधा अष्टमी मनाई जाएगी।

पूजा मंत्र

1. ॐ वृषभानुज्यै विधमहे कृष्णप्रियायै धीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात ।

2. ॐ ह्रीं श्रीराधिकायै विद्महे गान्धर्विकायै विधीमहि तन्नो राधा प्रचोदयात्।

3. नमस्त्रैलोक्यजननि प्रसीद करुणार्णवे।

ब्रह्मविष्ण्वादिभिर्देवैर्वन्द्यमान पदाम्बुजे।।

4. ऊं श्रीं नम: श्रीकृष्णाय परिपपूर्णतमाय स्वाहा

5. ऊं क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नम:

6. हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।

7. कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।

प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:

8. क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा

9. श्री कृं कृष्ण आकृष्णाय नमः

10 .ऊं श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा

11. क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः

12. हे कृष्ण द्वारकावासिन् क्वासि यादवनन्दन।

आपद्भिः परिभूतां मां त्रायस्वाशु जनार्दन।।

13. ऊं देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते ।

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।

14. ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो कृष्णः प्रचोदयात् ।।

15. ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे।

सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधि।।

यह भी पढ़ें: ये है देश का बेहद रहस्यमयी मंदिर, राधा और कृष्ण गांव आकर सुनते हैं ग्रामीणों की परेशानी

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।