Radha Kund Snan 2024: राधा रानी की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, दूर हो जाएंगे सभी कष्ट
हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन जगत के पालनहार कृष्ण कन्हैया संग जगत की देवी राधा रानी (Radha Kund Snan 2024) की पूजा की जाती है। भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही प्रभु की कृपा साधक पर बरसती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 23 Oct 2024 08:21 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा कुंड स्नान किया जाता है। इस शुभ तिथि पर अहोई अष्टमी भी मनाई जाती है। इस वर्ष अहोई अष्टमी के दिन ही कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। राधा कुंड स्नान के शुभ अवसर पर गुरु पुष्य योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में जगत की देवी राधा रानी संग भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होगी। धार्मिक मत है कि राधा कुंड में स्नान करने वाले निसंतान दंपती को शीघ्र पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। वहीं, अहोई अष्टमी का व्रत पुत्र की लंबी आयु के लिए किया जाता है। अगर आप भी राधा रानी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो राधा कुंड स्नान अवश्य करें। अगर आप राधा रानी की नगरी नहीं जा सकते हैं, तो घर पर ही गंगाजल या राधा कुंड (Radha Kund Snan 2024) के जल को सामान्य पानी में मिलाकर स्नान करें। इसके बाद विधि-विधान से भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा करें। साथ ही राधा रानी के नामों का मंत्र जप करें।
राधा जी के 108 नाम (Radha ji 108 names)
- ॐ श्रीराधायै नम:
- ॐ राधिकायै नम:
- ॐ जीवायै नम:
- ॐ जीवानन्दप्रदायिन्यै नम:
- ॐ नन्दनन्दनपत्न्यै नम:
- ॐ वृषभानुसुतायै नम:
- ॐ शिवायै नम:
- ॐ गणाध्यक्षायै नम:
- ॐ गवाध्यक्षायै नम:
- ॐ जगन्नाथप्रियायै नम:
- ॐ किशोर्यै नम:
- ॐ कमलायै नम:
- ॐ कृष्णवल्लभायै नम:
- ॐ कृष्णसंयुतायै नम:
- ॐ वृन्दावनेश्वर्यै नम:
- ॐ कृष्णप्रियायै नम:
- ॐ मदनमोहिन्यै नम:
- ॐ श्रीमत्यै कृष्णकान्तायै नम:
- ॐ कृष्णानन्दप्रदायिन्यै नम:
- ॐ यशस्विन्यै नम:
- ॐ यशोगम्यायै नम:
- ॐ यशोदानन्दवल्लभायै नम:
- ॐ दामोदरप्रियायै नम:
- ॐ गोकुलानन्दकर्त्र्यै नम:
- ॐ गोकुलानन्ददायिन्यै नम:
- ॐ गतिप्रदायै नम:
- ॐ गीतगम्यायै नम:
- ॐ गमनागमनप्रियायै नम:
- ॐ विष्णुप्रियायै नम:
- ॐ विष्णुकान्तायै नम:
- ॐ विष्णोरंकनिवासिन्यै नम:
- ॐ यशोदानन्दपत्न्यै नम:
- ॐ यशोदानन्दगेहिन्यै नम:
- ॐ कामारिकान्तायै नम:
- ॐ कामेश्यै नम:
- ॐ कामलालसविग्रहायै नम:
- ॐ जयप्रदायै नम:
- ॐ जयायै नम:
- ॐ गोप्यै नम:
- ॐ गोपानन्दकर्यै नम:
- ॐ कृष्णांगवासिन्यै नम:
- ॐ हृद्यायै नम:
- ॐ चित्रमालिन्यै नम:
- ॐ विमलायै नम:
- ॐ दु:खहन्त्र्यै नम:
- ॐ मत्यै नम:
- ॐ धृत्यै नम:
- ॐ लज्जायै नम:
- ॐ कान्त्यै नम:
- ॐ पुष्टयै नम:
- ॐ गोकुलत्वप्रदायिन्यै नम:
- ॐ केशवायै नम:
- ॐ केशवप्रीतायै नम:
- ॐ रासक्रीडाकर्यै नम:
- ॐ रासवासिन्यै नम:
- ॐ राससुन्दर्यै नम:
- ॐ हरिकान्तायै नम:
- ॐ हरिप्रियायै नम:
- ॐ प्रधानगोपिकायै नम:
- ॐ गोपकन्यायै नम:
- ॐ त्रैलोक्यसुन्दर्यै नम:
- ॐ वृन्दावनविहारिण्यै नम:
- ॐ विकसितमुखाम्बुजायै नम:
- ॐ पद्मायै नम:
- ॐ पद्महस्तायै नम:
- ॐ पवित्रायै नम:
- ॐ सर्वमंगलायै नम:
- ॐ कृष्णकान्तायै नम:
- ॐ विचित्रवासिन्यै नम:
- ॐ वेणुवाद्यायै नम:
- ॐ वेणुरत्यै नम:
- ॐ सौम्यरूपायै नम:
- ॐ ललितायै नम:
- ॐ विशोकायै नम:
- ॐ विशाखायै नम:
- ॐ लवंगनाम्न्यै नम:
- ॐ कृष्णभोग्यायै नम:
- ॐ चन्द्रवल्लभायै नम:
- ॐ अर्द्धचन्द्रधरायै नम:
- ॐ रोहिण्यै नम:
- ॐ कामकलायै नम:
- ॐ बिल्ववृक्षनिवासिन्यै नम:
- ॐ बिल्ववृक्षप्रियायै नम:
- ॐ बिल्वोपमस्तन्यै नम:
- ॐ तुलसीतोषिकायै नम:
- ॐ गजमुक्तायै नम:
- ॐ महामुक्तायै नम:
- ॐ महामुक्तिफलप्रदायै नम:
- ॐ प्रेमप्रियायै नम:
- ॐ प्रेमरुपायै नम:
- ॐ प्रेमभक्तिप्रदायै नम:
- ॐ प्रेमक्रीडापरीतांग्यै नम:
- ॐ दयारुपायै नम:
- ॐ गौरचन्द्राननायै नम:
- ॐ कलायै नम:
- ॐ शुकदेवगुणातीतायै नम:
- ॐ शुकदेवप्रियायै सख्यै नम:
- ॐ रतिप्रदायै नम:
- ॐ चैतन्यप्रियायै नम:
- ॐ सखीमध्यनिवासिन्यै नम:
- ॐ मथुरायै नम:
- ॐ श्रीकृष्णभावनायै नम:
- ॐ पतिप्राणायै नम:
- ॐ पतिव्रतायै नम:
- ॐ सकलेप्सितदात्र्यै नम:
- ॐ कृष्णभार्यायै नम:
- ॐ श्यामसख्यै नम:
- ॐ कल्पवासिन्यै नम:
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