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Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन पर भद्रा काल में नहीं बांधी जाती है राखी, ज्योतिष विद्वान से जानिए सटीक समय

Raksha Bandhan 2023 श्रावन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन रक्षाबंधन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं। इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल का निर्माण हो रहा है जिसमें राखी बांधना वर्जित है। ऐसे में रक्षाबंधन पर्व दो दिन मनाया जाएगा। जानते हैं राखी का शुभ मुहूर्त।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Mon, 21 Aug 2023 04:24 PM (IST)
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Raksha Bandhan 2023 रक्षाबंधन पर्व के दिन इस शुभ मुहूर्त में भाई को बांधें राखी।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Raksha Bandhan 2023 Shubh Muhurat: प्रत्येक वर्ष श्रावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रक्षाबंधन पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर ईश्वर से उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं। लेकिन इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन भद्रा और पंचक का निर्माण हो रहा है। ऐसे में वर्ष 2023 दो दिन राखी का पवित्र त्योहार मनाया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि, भद्रा काल में राखी बांधना वर्जित है। आइए, आचार्य श्याम चंद्र मिश्र जी से जानते हैं, राखी के लिए उचित समय क्या है और किस समय राखी बांधना शुभ रहेगा?

रक्षाबंधन 2023 शुभ मुहूर्त

आचार्य श्याम चंद्र मिश्र बताते हैं कि श्रावन पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक से शुरू हो जाएगी और 31 अगस्त सुबह 08 बजकर 35 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। बता दें कि इस भद्रा सुबह 10 बजकर 42 मिनट से रात्रि 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। ऐसे में रक्षाबंधन भद्राकाल के बाद ही मान्य होता है। इस बात का भी ध्यान रखें कि निशीत काल अर्थात रात्रि 10 बजे से पहले रक्षाबंधन से जुड़े पूजा-पाठ को संपन्न कर लें। वहीं 31 अगस्त को सुबह 08 बजकर 35 मिनट से पूर्व यानि पूर्णिमा तिथि समाप्त होने से पहले बहनें अपने भाई को राखी बांध दें।

रक्षाबंधन 2023 शुभ योग

पंचांग में बताया गया है कि रक्षाबंधन पर्व धनिष्ठा नक्षत्र में मनाया जाएगा, जो रात्रि 10 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। जिसे मांगलिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि इस शुभ मुहूर्त में पूजा-पाठ करने से साधक को विशेष लाभ प्राप्त होता है।

रक्षाबंधन 2023 पूजा विधि

श्रावन पूर्णिमा के दिन पवित्र स्नान का विशेष महत्व है, इसलिए इस दिन प्रातः काल में स्नान-ध्यान करें। देव पूजन व पितृ तर्पण कर लें। इसके बाद एक थाली को राखी या रक्षासूत्र, कुमकुम, अक्षत, मिठाई से सजा लें और भद्रा के बाद भाई की कलाई पर राखी बांधें। राखी बांधते समय 'येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे माचल माचल।।' इस मंत्र का जाप जरूर करें। बता दें कि इस मंत्र को रक्षा मंत्र कहा जाता है। इसके बाद तिलक लगाएं और भगवान से भाई के उज्जवल भविष्य की प्रार्थना करें।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।