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Ramlala Pran Pratishtha: प्राण प्रतिष्ठा की पूजा के दौरान करें ये आरती, जानें भगवान श्रीराम के मंत्र

देश-विदेश में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा को लेकर अधिक उत्साह देखने को मिल रहा है। प्राण प्रतिष्ठा के समारोह की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अगर आप 22 जनवरी को अपने घर पर भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा कर रहे हैं तो प्राण प्रतिष्ठा की पूजा के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के मंत्र का जाप और आरती अवश्य करें।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaPublished: Sun, 21 Jan 2024 05:51 PM (IST)Updated: Sun, 21 Jan 2024 05:51 PM (IST)
Ramlala Pran Pratishtha: प्राण प्रतिष्ठा की पूजा के दौरान करें ये आरती, जानें भगवान श्रीराम के मंत्र

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shri Ram Mantra and Aarti Lyrics: अयोध्या में रामलला के स्वागत का समय बेहद नजदीक है। 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य समारोह होने जा रहा है। देश-विदेश में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा को लेकर अधिक उत्साह देखने को मिल रहा है। प्राण प्रतिष्ठा के समारोह की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अगर आप 22 जनवरी को अपने घर पर भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा कर रहे हैं, तो प्राण प्रतिष्ठा की पूजा के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के मंत्र का जाप और आरती अवश्य करें। मान्यता है कि प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मंत्र का जाप और आरती न करने से पूजा सफल नहीं होती है। चलिए पढ़ते हैं भगवान श्रीराम के मंत्र और आरती।

भगवान श्रीराम के मंत्र

सर्वार्थसिद्धि श्री राम ध्यान मंत्र -

ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम,

लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !

श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !

समस्या से मुक्ति के लिए -

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।

कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्।

लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्।।

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सुख-शांति के लिए मंत्र -

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशवा।

गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा॥

हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते।

बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम्॥

भगवान राम के सरल मंत्र

|| श्री राम जय राम जय जय राम ||

|| श्री रामचन्द्राय नमः ||

भगवान श्रीराम की आरती

श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्।

नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।

कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।

पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।

भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्।

रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं।

आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।

मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।

मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों।

करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली।

तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।

जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।

मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।

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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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