Move to Jagran APP

Rama Ekadashi 2022: रमा एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Rama Ekadashi 2022 दिवाली के पहले पड़ने वाली एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जानते हैं। इस एकादशी को काफी शुभ माना जाता है। शुक्रवार पड़ने के कारण इस एकादशी का और अधिक महत्व बढ़ जाता है। जानिए रमा एकादशी का शुभ मुहूर्त पूजा विधि और महत्व।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Fri, 21 Oct 2022 07:34 AM (IST)
Hero Image
Rama Ekadashi 2022: रमा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

नई दिल्ली, Rama Ekadashi 2022 Shubh Muhurat Puja Vidhi: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जानते हैं। दिवाली के ठीक पहले पड़ने वाली इस एकादशी में भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि गुरुवार और शुक्रवार के दिन एकादशी तिथि पड़ने पर इसका और भी अधिक महत्व बढ़ जाता है। आइए जानते हैं रमा एकादशी का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि।

Rama Ekadashi 2022 Katha: रमा एकादशी पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, विष्णु जी करेंगे हर इच्छा पूर्ण

रमा एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त

रमा एकादशी का आरंभ- 20 अक्टूबर 2022 को शाम 4.04 बजे शुरू

रमा एकादशी का समापन- 21 अक्टूबर 2022 को शाम 5.22 कर

व्रत का पारण का समय- 22 अक्टूबर 2022 को सुबह 6.30 से 08.47 तक

रमा एकादशी पूजा विधि

  • सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
  • भगवान विष्णु के सामने जाकर हाथ में जल, पुष्प और अक्षत लेकर रमा एकादशी व्रत रखने का संकल्प लें।
  • पूजा स्थान पर एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। फिर उनका अभिषेक करें।
  • पीले पुष्प, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, फल, गंध, मिठाई आदि अर्पित करते हुए भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके साथ ही पंचामृत और तुलसी का पत्ता चढ़ाएं।
  • इसके बाद एकादशी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। अंत में आरती करके भूल चूक के लिए क्षमा मांग लें।

रमा एकादशी का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, रमा एकादशी के व्रत को करने से सभी प्रकार के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। श्री कृष्ण ने इस व्रत के बारे में खुद युधिष्ठिर को बताया था कि इस व्रत को करने से वाजपेय यज्ञ की प्राप्ति होती है।

Pic Credit- instagram/

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।