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Rama Ekadashi 2022: रमा एकादशी के दिन इन बातों का ध्यान रखने से नहीं नाराज होते हैं भगवान विष्णु

Rama Ekadashi 2022 हिन्दू धर्म में रमा एकादशी व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी दुःख दूर हो जाते हैं।

By Shantanoo MishraEdited By: Updated: Fri, 21 Oct 2022 11:22 AM (IST)
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Rama Ekadashi 2022 व्रत के समय जरूर रखें इन बातों का ध्यान।

नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क | Rama Ekadashi 2022 Vrat Niyam: भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित रमा एकादशी पर्व आज के दिन रखा जा रहा है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की उपासना करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि रमा एकादशी व्रत रखने से मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज यानी 21 अक्टूबर 2022 (Rama Ekadashi 2022 Date) को यह व्रत रखा जा रहा है और इसे कठिन व्रतों में गिना जाता है। इसलिए शास्त्रों में इससे जुड़े कुछ नियम बताए गए हैं। जिनका पालन करने के बाद ही यह व्रत सफल हो पाता है। आइए जानते हैं क्या है रमा एकादशी व्रत का नियम और पूजन विधि।

रमा एकादशी व्रत नियम (Rama Ekadashi 2022 Niyam)

रमा एकादशी व्रत के दिन किसी भी वृक्ष या पौधे के पत्ते ना थोड़े। इसके साथ व्यक्ति को घर में झाड़ू लगाने से भी बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि झाड़ू लगाने से चींटी या छोटे जीव-जंतुओं की मृत्यु का डर रहता है जिससे जीव हत्या का पाप आप पर लग सकता है। इसके साथ इस दिन बाल कटवाने से भी बचें। रमा एकादशी व्रत के दिन किसी भी प्रकार का विवाद या मुंह से गलत शब्द ना निकालें। ऐसा करने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं। इस बात का भी ध्यान रखें कि भोजन में चावल का सेवन बिल्कुल ना करें, इसे वर्जित माना गया है। रमा एकादशी के दिन मांसाहार का सेवन भी वर्जित है। फलाहारी या सात्विक भोजन का सेवन करें। साथ ही जो लोग व्रत रख रहे हैं वह गोभी, पालक, शलगम इत्यादि खाने से बचें।

रमा एकादशी पूजा विधि (Rama Ekadashi 2022 Puja Vidhi)

रमा एकादशी व्रत करने से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु को भोग लगाएं और पूजा के बाद इसे परिवार के सभी सदस्यों ने बांट दें। रमा एकादशी के दिन गीता पाठ करने का भी विशेष महत्व है। संध्या काल में भगवान विष्णु की विशेष पूजा जरूर करें और अगले दिन किसी नजदीक के मंदिर में दान-दक्षिणा प्रदान कर आएं।

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।