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Rama Ekadashi 2023: कार्तिक महीने में कब है रमा एकादशी? जानें- शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

धार्मिक मान्यता है कि रमा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से एकादशी के दिन व्रत रख लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। आइए शुभ मुहूर्त पारण का समय एवं पूजा विधि जानते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 01 Nov 2023 11:30 AM (IST)
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Rama Ekadashi 2023: कार्तिक महीने में कब है रमा एकादशी? जानें- शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Rama Ekadashi 2023: हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर रमा एकादशी मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष गुरुवार 9 नवंबर को रमा एकादशी है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान विष्णु के निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि रमा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से एकादशी के दिन व्रत रख लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। आइए, शुभ मुहूर्त, पारण का समय एवं पूजा विधि जानते हैं-

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 08 नवंबर को प्रातः काल 08 बजकर 23 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 09 नवंबर को सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषियों की मानें तो 08 नवंबर को सुबह 08 बजे तक दशमी तिथि रहने के चलते 09 नवंबर को एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

पारण का समय

साधक 10 नवंबर को सुबह 06 बजकर 39 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 50 मिनट तक पूजा पाठ कर पारण कर सकते हैं। इस दिन द्वादशी तिथि का समापन दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है है।

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पूजा विधि

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इस समय भगवान विष्णु को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद सुविधा होने पर पवित्र नदी में स्नान करें। अगर सुविधा नहीं है, तो गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर व्रत संकल्प लें और पीले रंग का वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले भगवान सूर्य को लाल रंग मिश्रित जल से अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा गृह में एक चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की चित्र को स्थापित करें। अब कलश स्थापित कर विधिवत भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु को पीला रंग अति प्रिय है। अतः पीले रंग का फल, फूल, केसर मिश्रित खीर अर्पित करें। इस समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें। पूजा के अंत में आरती कर सुख, समृद्धि और आय में वृद्धि हेतु कामना करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा पाठ कर व्रत खोलें। इस समय जरूरतमंद और योग्य ब्राह्मण को दान अवश्य दें

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।