Rama Ekadashi 2024: रमा एकादशी के दिन श्रीहरि को इस तरह करें प्रसन्न, सभी पापों का होगा नाश
पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी (Rama Ekadashi 2024) के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी व्रत को अधिक शुभ माना जाता है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विशेष चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। एकादशी व्रत को प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर विधिपूर्वक किया जाता है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर रमा एकादशी (Rama Ekadashi 2024) व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विष्णु जी की उपासना करने से जातक को सभी परेशानी से छुटकारा मिलता है। अगर आप भी विष्णु जी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो एकादशी की पूजा के दौरान सच्चे मन से विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa) का पाठ करें। इससे साधक की किस्मत चमक सकती है और जीवन खुशहाल होगा। आइए पढ़ते हैं विष्णु चालीसा।
श्री विष्णु चालीसा
दोहाविष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय।चौपाई
नमो विष्णु भगवान खरारी।कष्ट नशावन अखिल बिहारी॥प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी।त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥सुन्दर रूप मनोहर सूरत।सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥तन पर पीतांबर अति सोहत।बैजन्ती माला मन मोहत॥
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संतभक्त सज्जन मनरंजन।दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥सुख उपजाय कष्ट सब भंजन।दोष मिटाय करत जन सज्जन॥पाप काट भव सिंधु उतारण।कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥करत अनेक रूप प्रभु धारण।केवल आप भक्ति के कारण॥धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा।तब तुम रूप राम का धारा॥भार उतार असुर दल मारा।रावण आदिक को संहारा॥आप वराह रूप बनाया।
हरण्याक्ष को मार गिराया॥धर मत्स्य तन सिंधु बनाया।चौदह रतनन को निकलाया॥अमिलख असुरन द्वंद मचाया।रूप मोहनी आप दिखाया॥देवन को अमृत पान कराया।असुरन को छवि से बहलाया॥कूर्म रूप धर सिंधु मझाया।मंद्राचल गिरि तुरत उठाया॥शंकर का तुम फन्द छुड़ाया।भस्मासुर को रूप दिखाया॥वेदन को जब असुर डुबाया।कर प्रबंध उन्हें ढूंढवाया॥
मोहित बनकर खलहि नचाया।उसही कर से भस्म कराया॥असुर जलंधर अति बलदाई।शंकर से उन कीन्ह लडाई॥हार पार शिव सकल बनाई।कीन सती से छल खल जाई॥सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी।बतलाई सब विपत कहानी॥तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी।वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥देखत तीन दनुज शैतानी।वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥हो स्पर्श धर्म क्षति मानी।
हना असुर उर शिव शैतानी॥तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे।हिरणाकुश आदिक खल मारे॥गणिका और अजामिल तारे।बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥हरहु सकल संताप हमारे।कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे।दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥चहत आपका सेवक दर्शन।करहु दया अपनी मधुसूदन॥जानूं नहीं योग्य जप पूजन।होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥
शीलदया सन्तोष सुलक्षण।विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण॥करहुं आपका किस विधि पूजन।कुमति विलोक होत दुख भीषण॥करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण।कौन भांति मैं करहु समर्पण॥सुर मुनि करत सदा सेवकाई।हर्षित रहत परम गति पाई॥दीन दुखिन पर सदा सहाई।निज जन जान लेव अपनाई॥पाप दोष संताप नशाओ।भव-बंधन से मुक्त कराओ॥सुख संपत्ति दे सुख उपजाओ।
निज चरनन का दास बनाओ॥निगम सदा ये विनय सुनावै।पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै॥यह भी पढ़ें: Rama Ekadashi 2024: रमा एकादशी पर करें तुलसी से जुड़े ये उपाय, धन में होगी बरकतअस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।